SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 124
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कल्पवासावासं पजोसवियस्स निच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगं गोअरकालं गाहावइ-18 बारसो ॥ ६०॥ कुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नन्नत्थायरियवेयावच्चेण वा है। एवं उवज्झायवे तवस्सिवे० गिलाणवे. खुड्डएण वा खुड्डियाए वा अवंजणजायएण वा है ॥२०॥वासावासं पजोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स अयं एवइए विसेसे-जं से है पाओ निक्खम्म पुवामेव वियडगं भुच्चा पिच्चा पडिग्गहगं संलिहिय संपमज्जिय से य संथरिजा, कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तट्टेणं पजोसवित्तए-से य नो संथरिजा, एवं से कप्पइ दुच्चंपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥२१॥ वासावासं पजोसवियस्स छट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति दो गोअरकाला गाहावइकुलं ? भत्ताए वा पाणाए वा निक्ख० पविसि०॥२२॥ वासावासं पजोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओगोअरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वानिक्खमि० पविस० पायउ॥६॥
SR No.600261
Book TitleKalpsutram
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1914
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy