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________________ शब्दार्थ सूत्र भावार्थ 4 अनुवादक- बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी अ० प्रदेश को परमाणु (द्विपदेशात्मक ज० जैसे तिं० तीन प्रदेश फु स्पर्शाया हुवा ए० ऐसे फु० स्पर्शना जा० यावत् अनंत प्रदेशात्मक ति० तीन प्रदेशात्मक भ० भगवन् खं० स्कंध प० परमाणु पो० पुगल फु० स्परीते हुवे १. पु० पृच्छा त० तीसरा छ० छठ्ठा न० नववे से फु० स्पर्शता है ति० तीन प्रदेशात्मक दु० फु० स्पर्शते प० प्रथम त० तीसरा च० चौथा छ० छट्टा स० सातवा न० नववे से फु० स्पर्शता है ि तिहिं फुसइ, मज्झिमएहिं तिहिंवा पाडसेहेयव्यं. दुपएसिओ जहा तिपएसियं फुसाविओ. एवं स जाव अनंत एसियं तिपएसिएणं भंते ! खंधे पोग्गलं फुरमाणे पुच्छा तइयछणवमेहिं फुसइ || तिपएसओ दुपएसिथं फुस - माणो पढमरणं तइयएणं चउत्थछटुसत्तमनवमेहिं फुसइ ॥ तिपएसिओ तिपए( पांच यावत् संख्यात, असंख्यात व अनंत प्रदेश तक जानना. अहो भगवन् ! परमाणु पुद्गल को स्पर्शते द्वि प्रदेशी स्कंध में कितने भांगे पावे ? अहो गौतम ! परमाणु पुद्गल को स्पर्शते हुवे द्विप्रदेशी स्कंध में तीसरा व नववा भांगा पावे अर्थात् अपने देश से परमाणु पुद्गल के सर्वांग को स्पर्शे अथवा अपने सर्वांग से उस के सर्वांग को स्पर्शे द्वि प्रदेशी द्वि प्रदेशी को स्पर्शते हुए पहिला, तीसरा, सातवां व नववा भांगा को स्पर्शे, तीन प्रदेशी को स्पर्शते हुए पहिले के तीन व पीछे के तीन ऐसे भांगे को स्पर्शे. और इसी तरह चार, पांच यावत् संख्यात, असंख्यात व अनंत प्रदेशी को स्पर्शते हुवे द्विप्रदेशी स्कंधमें उक्त छ मांगे पावे * प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * ७००
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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