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शब्दार्थ देशा
स्पर्शता है दे० देश से स० सब को फु० स्पर्शता है दे० देशोंसे स० सब से गो० गौतमनो० नहीं दे० देश से दे० देशको फु० स्पर्शे ५० परमाणु पो० पुद्गल दु० द्विप्रदेशी को फु० स्पर्शते स ०. सात नं० नत्र के फु० स्पर्शे प० परमाणु पो० पुद्गल ति० तीन प्रदेश को फु० स्पर्शते नि० अन्त्य ति० तीन से फु० स्पर्शे ज० जैसे प० परमाणु पो० पुद्गल ति० तीन प्रदेश को फु० स्पर्शा हुआ ए० ऐसे फु० फुसइ, देसेहिं देसे फुसइ, देसेहिं सव्वं फुसइ, सव्वेणं देतं फुसइ, सव्वेणं देसे फुसइ, सव्येणं सव्वं फुसइ ? गोयमा ! नो देसेणं देतं फुसइ, णो देसेणं देसे फुसइ, णो देसेणं सव्वं फुसइ, नो देसेहिं देतं फुसइ, नो देसेहिं देसे फुसइ, नो देसेहिं सव्वं फुसइ, नो सव्वेणं देसं फुसइ, णो सव्वेणं देसे फुसइ, सव्वेणं सव्वं फुसइ । परमाणु पोग्गले दुपएसियं कुसमाणे सत्त नवमेहिं फुसइ, परमाणुपोग्गले तिपएसियं फुलमाणे देश से दूसरे के सर्वाग को स्पर्शे ४ अपने अनेक देश से दूसरे के एक देश को स्पर्शे ५ अपने देश से दूसरे के अनेक देशों को स्पर्शे ६ अपने अनेक देश से दूसरे के सर्वांग को स्पर्शे ७ अपने सर्वांग ईसे दूसरे के एक देश को स्पर्शे ८ अपने सर्वांग से दूसरे के अनेक देशों को स्पर्शे और ९ अपने सर्वांग से दूसरे के क्या सर्वांग को स्पर्शे ? अहो गौतम ! इन भांग में से मात्र नावां सर्वांग से सर्वांग को स्पर्शे * यही भांगा मील सकता है. परमाणु पुद्गल परमाणु पुद्गल को स्पर्शने में शेष आठ भांगे नहीं हैं. परमाण
अनेक
सूत्र
भावार्थ
48 अनुवादक बालब्रह्मचारिमुनि श्री अमोलक ऋषिजी
* प्रकाशक- राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादनी
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