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शब्दार्थ 4 उ० उत्तरार्ध में उ० उत्कृष्ट अ० अठारह मु० मुहूर्त का दि० दिन भ होता है त० तब जं० जम्बूद्वीप
के मं० मेरु पर्वत की पु० पूर्व में प० पश्चिम में ज० जघन्य दु. द्वादश मु० मुहूर्त की रा० रात्रि भ० होती है हं० हां गो० गौतम ज० जब जा० यावत् दु० द्वादश मुहूर्त की रा० रात्रि भ० होती है ॥५॥
दिवसे भवइ, तयाणं जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पुरच्छिमपञ्चच्छिमेणं जहणिया दुवालस मुहुत्ता राई भवइ ? हंता गोयमा ! जयाणं जंबू जाव दुवालस मुहुत्ता
राई भवइ ॥ ५ ॥ जयाणं भंते ! जंबू मंदरस्स पुरच्छिम उक्कोसए अट्ठारस जाव और जब उत्तर दिशा में अठारह मुहूर्त का दिन होता है तब क्या पूर्व पश्चिम दिशा में बारह मुहूर्त की रात्रि होती है ? हां गौतम ! जब जम्बूद्वीप के उत्तर व दक्षिण विभाग में अठारह मुहूर्त का दिन होता है तब पूर्व, पश्चिम दिशा में बारह मुहूर्त की रात्रि होती है = ॥ ५ ॥ अहाँ भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के ___- सूर्य के सब १८४ मांडले हैं इस में से ६५ मांडले जगति सहित जम्बूद्वीप में हैं और ११९ मांडले लवण , समुद्र में हैं. जब सब आभ्यंतर मांडले में सूर्य आता है तब उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है. और जब सब है बाहिर मांडले पर सूर्य चलता है तब बारह मुहर्तका दिन होता है, वहां से सूर्य पलटता है तब दूसरे मांडले से प्रत्येक । मांडले पर एक मुहूर्त के एकसठीये दो भाग दिन बढता है. ऐसे १८२ वे मांडले पर छ मुहूर्त दिन बढकर १८ मुहूर्त का दिन होता है.
4.9 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमे.लक ऋषिजी.
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ