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का काम खा० स्वासी सा० श्चात ज० घर दा दाह क. कच्छ को कोड अ. अजीर्ण पं० पांडरोग अ० हासरोग भ. भगंदर हि. हृदयशूल म०मस्तकशूल नो योनिश्ल पा० पसली शाल कु० कुक्षिशूल गा० ग्राममरकी न. नगर खे. खेड क. कर्बट दो. द्रोणपुष म० मडंप प. पाटप आ. आश्रम सं० संवाह स० सन्निवेश मरकी पा० प्राणक्षय ध० धमक्षय ज. जनक्षय कु. कुलक्षय व. वसनभूब अ..
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42 अन्यादक-पालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिमी
साइवा, खासाइवा, जराइवा, साहाइवा, कच्छ कोहाइवा, अजीरया, पंडुरोगा ; अरसाइवा, भगंदलाइवा, हियय सूलाइवा मत्थय सृलाइवा, जोणिसूल, पारस ल, कुच्छिसल, गाममारीइवा, नगर खेड-कन्वड-दोणमह-मडंव-पट्टण-आसमसंबाह-सण्णिवे. स मारीइवा, पाणक्खय, धणक्खय-जमक्खय-कुलक्खय-वसणभूयमणारिया जेयाव
प्रकाशक-राजावहादुर लाला सुखदेव सहायजी ज्वालाप्रमादनी *
भावार्थ
ज्वर, दो दिनांतर ज्वर, तीन दिनांतर पर, चार दिनांतर घर, इष्ट के वियोग से उद्ग, श्वाम, खांसी
घर, दाह, कच्छ, कोड, अजीर्ण, पांडुरोग, हरम ( मसा) भगंदर, हुदव भूल, मस्तक शूल, योनि शृल, F फ्मली शूल, कुक्षि शृल, ग्राम की मारी. नगर. खेड, कवड, द्रोण मुख, मंडप, पट्टण, आश्रम, संवाद व "मनिवेश में मरकी. प्राणियों का क्षय, धन का क्षय, मनुष्यों का क्षय, ग्रहों का क्षय, वस्त्राभपणोंका क्षय.. ॐ व अनार्य म्लेच्छ लोगों का आगमन होवे वैसे ही अन्य भी एमे उपद्रव होवे. उक्त बातों यम महाराजा से