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भावार्थ
असुर कुमार दे० देवका अ० अधो गए नति में वि० विषय गो० गौतम ना पावत् अ० अधोस सातवी पु० पृथ्वी त० तीसरी पु० पृथ्वी को गये ग० जावेंगे ॥४॥ किं० क्या पः प्रयोजनसे मे० भगवन [अ० अमुर कुमार दे० देव त० तीसरी पु० पृथ्वी में ग० गये ग० जावेंगे गो० गौतम पु० पूर्व वैरी की है वे० वेदना उ० उदीरना करने को सु० पूर्वसंगति की वे० वेदना उ० उपश्रमाने को ॥ ५ ॥ अ० है सिए? हंता अत्थि केवयाणं भंते! असुरकुमाराणं देवाणं अहे गतिविसर पण्णत्ते ? गोयमा ! जाव अहे सत्तमा पुढवीए, तच्चं पुण पुढविं गयाय गमिस्संतिय ॥ ४ ॥ किं पतियणं भंते ! असुरकुमारा देवा तच्चं पुढत्रिं गयाय, गमिस्संतिय ? गोयमा ! पुख्ववेरियसवा, नेयणउदीरणाएं, पुत्रसंगइयस्स वेयण उवसामण्णयाए एवंखलु असुरकुमारा देवा तच पुढत्रिं गयाय गमिस्संतिय ॥ ५ ॥ अत्थणं भंते ! असुरकुमाराणं हां गौतम ! वे नीचे सातवी नरक तक जासकते हैं परंतु तीतरी पृथ्वी तक गये है और जायेंगे ||४|| | [ अहो भगवन् ! किस कारन से देवता नीचे तीसरी पृथ्वी तक गये हैं और जावेंगे ? अहो गौतम ! पूर्व { जन्म का बैरी नरक में उत्पन्न हुआ होवे तो उन की वेदना की उदीरणा करने केलिये अथवा पूर्व जन्म का मित्र नरक में उत्पन्न हुवा होने उन की वेदना उपशमाने के लिये असुरकुमार जाति के देव तीसरी नरक { तक गये हैं और जायेंगे || ६ || अहो भगवन ! असुरकुमार देव तिच्र्छा गमन कर सकते हैं ? हा गौतम !
- अनुवाद के अहह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी
राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
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