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________________ शब्दार्थ देवराजा अ अ स० दिशा स० प्रतिदिशा को स० देखते तेउस दि० दिव्य प्रभाव से ई० गार सारखा.मुमुर्मुरभूत तवा बेलुकण ततप्त अमिसरिखी जा० उत्पन्न हुइ॥४ात-तब ते..वे बसलिम चंचा रा०. राज्यघानी में व० रहने वाले ब० बहुत अ० असुर कुमार दे० देव देवी तं• उस व० बलिचंबा रा० राज्यधानी को ई० अग्निभूत जा. यावत् म० समज्योति भूत पा: देखकर भी० डरेहुवे उ० कंपेहुवे ता० त्रासेहुवे उ० उद्वेग पायेहुवे सं० भयसे व्याप्त स० सबबाजु आ. दोडे प० विशेष दोहे अ० अन्योन्य ___ सपडिदिसिं समभिलोइयाममाणातेणं दिन्वप्पभावणं,इंगालभूया,मुम्मुरभूयाछारिभूया,तत्त I कवेल्लयभया, तत्तासमजोइया जाया याविहोत्था. ॥ ४३ ॥ तएणते बलिचंचा रायE: हाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवाय देवीओय तं बलिचंचा रायहाणिं इंगालभूयं जाव समजोइभूयं पासंति पासतित्ता भीया उतत्था तसिया उन्विग्गा संजायभया सव्वओ समंता आधाबंति परिधावति परिधावतित्ता अण्णमण्णस्सकायं समतुरंगेमाणा चिटुंति । भावार्थ देखने से उन के दीव्य प्रभाव से वह राज्यधानी अग्नि के अंगार समान, सुर्मुरे समान, गख समान, तप्तरेती समान व अति उष्ण अनि समान हुई ॥ ४३ ॥ उस समय में बलिचंचा राज्यधानी में रहनेवाले देवों नगरी को अंगारे समान यावत् आनि समान देखकर भयभीत हुवे,. कंपनेलगे, उद्वेग करने लगे. 16इस तरह भयभीत बने हुवे चारों तरफ दौडने लगे और एक २ की काया में प्रवेश करने लगे ॥४४॥ 43 अनुवादक-बालबाह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिधी प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायजी ज्यारामसादजी
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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