SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 398
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दार्थ सूत्र भावार्थ अनुवादक - बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋाजी इक्कीस जो० योजन शत उ० ऊंडे गो० गौस्थूभ आवास पर्वत म० मध्य में भा० कहना मू० मूल ना० नाम का उ० उत्पात प० पर्वत पर प्ररूपा स० सत्तरह ए० उ० ऊंचपने च० चार ती० तीस जो० योजन शत को० कोश उ० का प० प्रमाण से ने० जानना न० विशेष उ? उपर प० प्रमाण {में द० दश वा बावीस जो० योजन स० शतं वि० चौडा म० मध्य में चं चार च० चौवीस जो० {योजन शत वि० चौडा उ० उपर स० सात ते० तेवीस जो० योजन शत वि० चौडा मृ० मूल में ति० बायालीसं जायण सहस्साई ओगाहित्ता एत्थणं चमरस्स अमुरिंदस्से असुररणो तिगिच्छिकुडे नामं उपाय पव्वए पण्णत्ते सत्तरस एकत्रीसे जोयणसए उट्टं उच्चत्ते-णं, चत्तारितीसे जोयणसए कोसच उब्वेहेणं, गोथूभस आत्मसपव्त्रयस्स पमाणेणं णेयव्त्रं, नवरं उबरिल्लं प्रमाण मज्झे भाणियन्त्र, मूले दस प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * बावीसे जोयणसए - {में जाये तो वहां चमर नामक असुरेन्द्र का तिगिच्छ कूट नामका उत्पात पर्वत कहा हैं. वह सत्तरह सो (इक्कीस ( १७२१ ) योजन का ऊंचा है और ४३० योजन और एक कोसका ऊंडा जमीन में है. जैसे लवण रामुद्र में नागराजा का गौस्थूभ नामक आवास पर्वत है वैसे ही यहां जानना. विशेष इतना कि गोस्थूभ नीचे १०२२ योजन का, मध्यमें ७२३ योजन व उपर ४२४ योजन का चौडा कहा है। { परंतु तिगिच्छकूट पर्वत नीचे १०२२ योजन, मध्यमें ४२४ और उपर ७२३ योजन का चौड़ा है ऐसा ३६८
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy