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________________ चमांग विवाह पण्णति (भगवती) सूत्र * सतं ततियं ॥ ३६ ॥ ३॥ * ॥ एवं काउलस्सेहिवि रुयं ॥च उत्थं॥३६॥४॥ भवसिद्धिय कडजुम्म २ बेइंदियाणं भंते ! एवं भवसिद्धियावि चत्तारि, तेणेव पुव्वगमएणं णेतव्वा णवरं मध्वपाणा, णो इणद्वे समद्वे, सेसं तहेव, ओहिय सयाणि चत्तारि, सेवं भंते! भंतेत्ति ।। छत्तीसइमसए अट्ठभं सयं सम्मत्तं ॥ ३६॥८॥ * जहा भवसिद्धिय सयाणि चत्तारि, एवं अभवसिद्धिय सयाणि चत्तारि भाणियवाणि, णवरं सम्मत्त णागाणि सव्वहा णत्थि, सेसं तंचेव ॥ एवं एयाणि वारस वेइदिय महाजुम्म सयाणि भवंति ॥ सेवं भंते ! भंतेत्ति ॥ बइंदिय महाजुम्म सया सम्मत्ता ॥ छत्तीसइमं महाजुम्म सयं मम्मत्तं ॥ ३६ ॥ * ऐने ही कापोत लेश्या की साथ चौथा शतक मंपूर्ण हुवा ॥३६॥ ४॥ भवसिद्धिक कृतयुग्म २ बेइन्द्रिय का पहिले के चार गया कडे वैसे ही कहना. परंतु मब प्राणी उत्पन्न होवे? यह अर्थ योग्य नहीं हैं. यों शप मब औधिक शतक जो कहना. यों छत्तीसरे शतक का आठवा शतक संपूर्ण हुवा ॥ ३६॥ ८॥ * है जैसे भवसिद्धिक के चार शतक कह बैंस ही अभवसिद्धिक के चार शतक कहना. परंतु इस में म्य क्त्व व ज्ञान ये दोनों नहीं होते हैं. यों बारह बेइन्द्रिय के शतक. होवे. अहो भगवन् ! आपके वचन मत्य हैं. यह घेइन्द्रिय महायुग्म नामक छत्तीसवा शतक संपूर्ण हुवा ॥ ३६॥ भावार्थ छत्तीसवा शतक का ४-८ उद्देशा68
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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