________________
३०२८
49 अनुवादक-गालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
* पञ्चत्रिंशतम् शतकम् * कइणं भंते महाजुम्मा पण्णत्ता ? गोयमा ! सोलस महा जुम्मा पण्णत्ता, तंजहा. कडजुम्म कडजुम्मे १, कडजुम्म तेओगे २, कडजुम्म दावरजुम्मे ३, कडजुम्म कलिओगे ४, तेओग कडजुम्मे ५, तेआग तेओगे ६, तेओग दावरजुम्मे ७, तेओग कलिओगे ८, दावरजुम्म कडजुम्मे ९, दावरजुम्म तेओग १०, दावरजुम्म दावर - जुम्मे ११, दावरजुम्म कलिओगे १२, कलिओग कडजुम्मे १३, कलिओग तेओगे १४, कलिओग दावरजुम्मे १५, कलिओग कलिओगे १६ ॥ से केणटुण भंते ! चौतीसवे शतक में एकेन्द्रिय की श्रेणी की संख्या का स्वरूप कहा, पेनीसवे शतक में भी संख्या संबंध करते हैं. अहो भगवन् ! महायुग्म कितने कहे हैं? अहो गौतम ! मोला महायुग्म कहे हैं जिन के नाय-१ कृतयुग्म कृतयुग्म २ कृतयुग्म श्योज, ३ कृतयुग्म द्वापर युग्म, ४ कृतयुग्म कल्योज, ५ योज कृतयुग्म, ६ योज योज, ७ व्योज द्वापरयुग्म, ८ योज कलियुग्म १ द्वापरयुग्म, कुनयुग्म
१ युग्म राशि को कहते हैं. राशि दो प्रकार की कही जिस में क्षुल्लक सो छोटी राशि उस का कशन पहिले कहा और महा राशि मो बड़ी राशी उस का कथन अब करते हैं..
..प्रकाशक-राजाबहादुर लालामुखदेवसहायजी ज्वालामसाइजी
भनाथ