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________________ पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र 42 तिसमइएणवा चउससइएणवा विग्गहेणं उयवजेज्जा ? गोयमा ! अाजत्ता सुहुम 3. पुढवीकाइएणं अहोलोएखेत्तणालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए समोहएता- जे भविए उड्डलोय खेत्तणााए बाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्ता सुहुम पुढवीकाइयत्ताए एगपयरंसि अणुसेढी उववाजित्तए सेणं तिसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा, जे भविए विसेढीओ उववजित्तए तेणं चउसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा; से तेणटेणं जाव उववज्जति ॥ एवं पजत्ता मुहुम पुढवीकाइयत्ताएवि ॥ एवं जाव पज्जत्ता मुहुम तेउकाइयत्ताए ॥ अपजत्ता सहुमं पुढवीकाइएणं भंते ? अहोलोग जाव समोहणित्ता जे भविए समयतीन या चार समय के विग्रह से उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकाया अधोलोक क्षेत्र | नालिका के बाहिर के क्षेत्र में मारणांतिक समुद्धात करके ऊर्भ लोकं क्षेत्र नालिका की बाहिर के क्षेत्र में अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायापने एक प्रतरवाली श्रेणी में उत्पन्न होने योग्य होवे वह तीन समय के विग्रह से उत्पन्न होवे और जो विश्रेणी में उत्पन्न होने योग्य होके वह चार समय के विग्रह से उत्पन्न होवे. इसलिये यावत् उत्पन्न होवे. ऐसे ही पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकाया यावत्-पर्याप्त सूक्ष्म लेउकायापने उत्पन्न होते. अहो भगवन ! अपर्याप्त मूक्ष्म पृथ्वीकाया अधोलोक की क्षेत्र नालिका के वाहिर के क्षेत्र में पारणांतिक समुद्रात है। 4.28..चौतीसवा शतक का पहिला उद्देशा487 भावार्थ annnnnnniKHARHAARAARAM
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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