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________________ अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी सक्करप्पभाए पुंढवीए पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते अपज्जत्ता सहुम पुढवी काइयात्ताएं उवेवाते हैं यन्बो, एवं जहेव रयणप्पभाए जाव से तेण?णं । एवं एएणं कमेणं जाव पजत्तए सुहुम तेउकाइएसु ॥ अपजत्तएस सुहुम पुढवीकाइएणं भंते ! सकरप्पभाए पुढवीए पुरीच्छमिल्ले चरिमंते समोहए समोहता जे भविए समयखत्ते अपंजत्ता वायर तेउकाइयत्ताए उवाजत्तए सेणं भंते ! कइसमय पुच्छा ? गोयमा ! दुसमयइएणवा तिसमइएणवा, विग्गहेणं. उववज्जेज्जा ॥ से केणटेणं भंते ! पुच्छा ? एवं खलु गोयमा ! मएसत्त सेढीओ प. तंजहा-उज्जु आयता जाव अद्धचकवाला, एगओ के शर्करप्रभा पृथ्वी के पश्चिम के चरिमांत में अपर्याप्त मूक्ष्म पृथ्वी काया उत्पन होने का होने, यों जैसे रत्नप्रभा. यावत् इसलिये ऐसा कहा गया है. यो इस क्रम सव पर्याप्त सूक्ष्म ते उकाया पर्यंत कहना. अहों, भगवन ! अपर्याप्त मूक्ष्म पृथ्वी काया इस शर्कर प्रभा पृथ्वी के पूर्व के चरिमांत में मारणांतिक समुद्धात करके इस मनुष्य क्षेत्र में अपर्याप्त बादर ते उकायापने उत्पन्न होने योग्य होवे वह कितने समय में उत्पन्न हो ? अहो गौतम दो सयय में अथवा तीन ममय विग्रह से उत्पन्न होवे, क्यों की शर्करप्रभा के पूर्वके चरिमांत मे क्षेत्र में उत्पन्न होने को समश्रेणी नहीं है इससिये दो अथवा तीन समय लगते हैं. अहो भगवन् । प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादनी भावार्थ Anamnnal - - - -- 1 '
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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