SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2891
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 88+ पंचगांगसिवाह पण्णति ( भगवती) सूत्र संजयस्सणं भंते. ! केवइयं कालं अंतर होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं जहा पुलागस्स । एवं जाव अहक्खाय संजयस्स ॥ सामाइयसंजयाणं भंते ! पुच्छा ? गोयमा ! णस्थि अंतरं । छेदोवट्ठावणिय पुच्छा ? गोयमा ! अहण्णेणं तेवटुिं वास सहस्साइं, उक्कोसेणं अटारससागरोवमकोडाकोडीओ । परिहारविसुद्धीए पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं चउरासीतिवाससहस्साई, उक्कोसेणं अटारस सागरोवम कोडाकोडीओ । सुहम संपरागाणं जहा णियंठाणं । अहक्खायाणं जहा सामाइय संजयाणं ॥ ३० ॥ सामाइयसंजयस्सणं भंते ! कइ समुग्धाया पण्णत्ता ? गोयमा ! छसमुग्धाया पण्णत्ता, संयम का कितना अंतर होवे ? अहो गौतम ! पुराक जैसे कहना. यों यथाख्यात पर्यंत कहना. अहो भगवन् ! बहुत सामायिक संयम का कितना अंतर हो? अहो गौतम! अंतर न होवे. छदोपस्थापनीय की पच्छा, अहो गौतम! जघन्य त्रेसठ हजार वर्ष उत्कृष्ट अठारह क्रोडाक्रोड सागरोपम परिहार विशुद्ध की पृच्छा, अहो गौतम ! जघन्य चौरासी हजार वर्ष उत्कृष्ट अठारह क्रोडाकोड सागरोपम सूक्ष्म संपराय का निर्ग्रन्थ जैसे कहना, और यथाख्यात का सामायिक संयम जैसे कहना. ॥३०॥ अहो भगवन् ! सामायिक सेयम को कितनी समुद्घात कही? अहो गौतम ! छ समुद्धात 4880 पच्चीसवा शतक का सातवा उद्देशा भावार्थ - 428
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy