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भंते ! किं सवेयए होजा, अवेयए होजा ? गोयमा ! सवेयए होजा, णो अवेदए. होजा ॥ जइ सवेयए होजा - किं इथिवेयए होजा, पुरिसवेयएं होजा, पुरिसणपुं. सगवेयए होजा ? गोयमा ! णो इत्थीवेयए होजा, पुरिसवेयए होजा, पुरिसणपुंसग । वेयए होजा ॥ वउसेणं भंते ! किं सवेयए होज्जा अवेयए होज्जा ? गोयमा ! सवेयए होजाणोअवेयए होजा ॥जइ सवेयए होज्जा कि इत्थीवेयए होजा,पुरिसवेयए होज्जा, पुरिसणपुंसगवेयए होजा ? गोयमा ! इत्थीवेयए होजा, परिसवेयए होजा, पुरिस
नपुंसगवेयए होजा ॥ एवं पडिसेवणाकुसीलेवि ॥ कसायकुसीलणं भंते ! किं भगवन् ! पुलाक क्या सवेदी हैं या अवेदी : ? अहो गौतम ! सब सवेदी होवे परंतु अवेदी होवे नहीं यदि सवेदी होवे तो क्या स्त्री वेदी, पुरुष वेदी या पुरुष नमक वेदी होवे ? अहो गौतम ! स्त्री वेदी होवे नहीं परंतु पुरुष वेदी व पुरुष नपुंसक बेदी पुलाक निर्ग्रन्थ होवे. अहो भगवन्! बकुश सवेदी को हावे. या अवेदी को दो अहो गौतम सवेदीको होवे परंतु अवेदीको होवे नहीं. यदि सवेदीको हो तो क्या वी पुरुषया पुरुष पुकको हो। अहो गौतमः स्त्री वेदी, पुरुषवेदी व पुरुष नपुंसक वेदी इनतीनोंको होवे.एमेही प्रतिसेवना कुशील
१ पुरुष चिन्ह का छेदन हुवा होवे वह पुरुष नपुंसक वेदी कहाता है, इस को पुलाकनिग्रग होता है परंतु जन्म नॉएक वेदी को नहीं होता है.
( भगवती ) मूत्र +girचांग विवाहपत्ति
पच्ची रवा शतक का का उद्देशा
मावार्थ
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