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________________ 48 प्रयोजक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी + 4३६४ दिशाओं में जीव प्रदेश का कथन १४५५ । दशवे शतक का छठा उद्देशा. ३६५ पांच शरीर का कथन ... ...१४५९ । ३६७ शक्रेन्द्र की सौर्मिक सभा .....१५०२ १ दशवे शतक का-दुसरा उद्देशा. ३६८ उत्तर दिशा के २८ अंतर द्वीपों...१५०५ स ३६६ संवृत्ति माधु रूप देखते क्रिया लगे १४६० ६७ योनि और वेदना के प्रश्नोचर ...१४६४ ११ एका दशम शतक का-पहिला उद्देशा ३६० आलोयना आराधना नहीं ...१४६६ ३६९ उत्पलादि कमल के जिवादि३२द्वारों१५०७ ३६१ आलोयने का इच्छक परे तो भी ३७० दुसरा-उद्देशा सालू कमल का ... आराधक ... ...१४६७ ३७१ तासरा-उदेशा पलासका ...१५२३, दशवे शतक का-तीसरा उद्देशा, ३७२ चौथा उद्देशा-कुंभीका ३७३ पांचवा उद्देशा पद्म के एक पत्ते में ३६२ आत्म ऋद्धि से देव गमन करे ...१४६९ एक जीवे ... ...१५२४ ३६३ अल्प ऋद्धि महा ऋद्धि देवों का विशेष१४७० ३७४ छठा उदेशा पद्मके एक पत्त में एक जीव१५२५ ३६४ अश्व चलने खूखू शब्द क्यों होवे ...१४७३ ३३५ भाषाओं का कथन ... . ...१४७४ ३७५ सातवा उद्देशा कर्णिकके एक पत्ते में जीव१५२८ दशवे शतक का चौथा उद्देशा.. ३७६ आठवा उद्देशा नलीन के पत्ते में जीव१५२६ श्री ३६५ त्रायत्रिसक देवों का कथन ...१४७६ २७७ नववा उद्देशा शिवराज ऋषिका. १५२७ । दशवे शतक का पांचवा उद्देशा. ३७८ दशवा उद्देशा लोकालोक के प्रमाण ३६६ अग्रमहेषीयों का कथन ...१४८६ .का चार प्रकार का लोक ...१५५६ *प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाम-दजी*
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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