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________________ भावार्थ 4-18+- पंचमाङ्ग विवाह पण्नाचे ( भगवती ) सूत्र 448+ णिरेयाविरइयाणं भंते! किं देतेया सव्वेया? गोयमा ! देतेयाचे सध्येयावि॥ से केज जाव सव्वेयात्रि ? गोयमा ! शेरइया दुत्रिहा पण्णत्ता तंजहा बिम्गहगइ समावण्णगाय अविग्गगइ समावणगाय ॥ तत्थणं जेते विग्गहगइ समावण्णा तेणं सव्वेया ॥ सत्यणं जेते अविग्गहगइ समावण्णमा तेणं देतेया, से तेणटुणं जात्र सव्वेंयात्रि ॥ एवं जाव वैमाणिया ॥ १५ ॥ परमाणु पोग्गलाणं भंते! किं संकेज्जा असंखजा अनंता ? गोयमा ! णो संखेज्जा णो असंखेजा अनंता ॥ एवं जाव अनंत {देश से कंपनेवाले भी हैं और सर्व से कंपनेवाले भी हैं. इस से यावत् स्थिर हैं. अहो भगवन् ! नारकी क्या देश से कंपने वाले या सर्व से कंपने वाल हैं ? अहो गौतम ! नारकी देश से व सर्व से कंपनेवाले हैं. अहो भगवन् ! किस कारन से ऐसा कहा गया यावत् सर्व कंपनेवाले हैं ? अहो गौतम ! नारकी के दो भेद कहे हैं विग्रहगति समापत्रक व अविग्रहगति समापन रु. इट में चिग्र गति समापत्रक सर्व से कंपने वाले और अविग्रहगतिसमापत्रक देश से कंपनेवाले इस से अहो गौतम ! ऐसा कहा गया यावत् सर्व {कंपने वाले ऐसे ही वैमानिक पर्यंत कहना. ॥ १५ ॥ अहो भगवन् ! परमाण पुगल क्या संख्यात बर्सख्वाव या अनंत हैं ? असे गौतम! परमाणु पुल संख्यात असंख्यात नहीं है परंतु अनंत है. ऐसे 44- पचीसना शतक का चौथा डा 8+8+ २७४९
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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