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ऋषनी 22 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक
गोयमा ! ओघादेसेणवि, विहाणादेसेणवि, कडजुम्मएदेसो गाढा, णो तेओग पदेसो गाढा णो दायरजुम्मपएसोगाढा, णो कलिओगपदेसोगा ॥ २० ॥ वटाणं भंते ! संढाणा किं कडजुम्मपदेसे पुच्छा ? गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्म पदेसोगाढा, णो तओग, णो दावरजुम्म, णो कलिओग ॥ विहाणा देसेणं कडजुम्मपदेसोगाढावि, तेओगपदेसो गाढावि, णो दावरजुम्म पदेसोगाढा कलिओ गपदेसो गाढावि ॥ २१ ॥ तंसाणं भंते ! संढाणा किं कडजुम्मा पुच्छा ? गोयमा !
ओघादेसेणं कडजुम्भ पदेसो गाढा, णो तेओग, णो दावरजुम्म, णो कलिओग से परिमंडल संस्थान कृत युग्म प्रदेशावगाही है परंतु त्रेता, द्वापर व कलि युग्म प्रदेशावगाही नहीं है. ॥२०॥ अहो भगवन् ? वृत संस्थान क्या कृत युग्म प्रदेशावगाही हैं वगैरह पृच्छा ? अहो गौतम ! औधिक से कृत प्रदेशावगाही, परंतु प्रता, द्वापर व कलि युग्म प्रदेशावगाही नहीं हैं.. और विधाना देशसे कृत युग्म प्रदेशावगाही, त्रेता प्रदेशावगाही, व कलि युग्म प्रदेशावगाही है परंतु द्वापर युग्म प्रदेशावगाही नहीं है ॥२१॥ अहो भगवन् ! ऽयंस युग्म की पृच्छा ! अहो गौतम ! औधिक से में कृतयुग्मप्रदेशावगाही है, परंतु वेता, द्वापर व कलि युग्म प्रदेशावगाही नहीं है, विधानादेश से कृतयुग्म ।
*प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाम
भावार्थ