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________________ - 4 १६७७. आग विगह पण्पत्ति (भगवति ) सूत्र एवं अणुबंधीवि, सेसे सहेव ॥ कालादेसेणे जहण्णेणं दो अटुंभागपलिओवमाइं उकोसेणवि दो अट्ठभागपलिओवमाइं, एवइयं ॥ जहण्णकालदिईयस्स, एसचेव एक्कगमो६ ॥ सचिव अप्पणा उक्कोसकालदिईओ जाओ सव्वेव ओहिया वत्तन्वया गवर ठिई जहण्णेणं तिष्णि पलिओवमाई, उक्कोसणवि तिण्णि पलिओग्माइं, एवं अणुबंधोवि सेसं तंचेवा एवं पच्छिमा तिण्णि गमगा यन्वा, णवरं संवेहं च जाणेज्जा ।। एते सत्तगमगा ॥ २ ॥ जइ संखेनवासाउय साणपंचिंदिय संखेजवासाउयाणं. जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणाणं, तहेव शववि गमा भाणियन्या, गवरं जोइसिय टिई संवेहं च जाणेजा, सेसं तहेव गिरवसेसं ॥ ३ ॥ जइ मणुस्सेहितो उववजति भेदो तहेब जाव असंखेजवासाउय ।। सणि मणुस्सेणं भंते ! जे भविए जोइसिएसु उव. स्थिति जघन्य उत्कृष्ट तीन पल्योपम ऐसे ही अनुबंध ऐसे ही पीछ के तीनों गमा कहना. परंतु स्थिति व संबंध इस अनुमार जानना यो सात गमा हुवे ॥२॥ यदि संख्या वर्ष पाले संझी पंचेन्द्रिय उत्पब होवे तो जैसे असुर कुमार में उत्पन्न होने की वक्तव्यता कही वैसे ही यहां नव ममा कहना. परंतु ज्योविधी की स्थिति का संबंध करना. ॥ ३॥ यदि मनुष्य में से उत्पन्न होने मो असंख्यात वर्ष के आयुष्य वाले चौबीसका शतक का सेवीसका उद्देशा । ।
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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