________________
498
. पंचांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सत्र Page
ईएसु, उक्कोसेणं पलिओवमवाससयसहस्स मब्भहियाट्ठिईएसु उववजेजा अवसेसं जहा. असरकुमारुहेसए, णवरं ट्ठिई जहण्णेणं अट्ठभागपलिओवमं, उक्कोसेणं तिण्णिपलिओवमाइ एवं अणुबंधावि सेसं तहेव गवरं कालादेसणं जहण्णेणं दो अट्ठभागपलिओ वमाइं उकासेणं चत्तारि पलिओवमाइं वासप्सयसहस्स भन्भहियाई एवइयं कालं जाब करेज्जा. सोचेव जहण्ण कालट्ठिईएसु उववण्णो जहणेणं अट्ठ भागपलिओवमट्ठिईएसु उकोसेणवि अट्ठभागपलिओवमट्टिईएसु उक्वज्जेज्जा ॥ एसचेव वत्तव्वया णवरं काला देसंच जाणेज्जा ॥ २ ॥ सोचव उकोलकालाईएसु उववण्णो एसचव वत्तव्वया णवरं अधिक अवशेष अमुरकुमार उद्देशा जैसे कहता परंतु स्पिति जघन्य एक पल्योपम का आठवा भाग उत्कृष्ट तीन पल्योफर ऐसे ही अनुध भी कहा. कालादेश से जघन्य पल्योपम के दो आठ भाग उत्कृष्ट चार पल्यापम व एक लाख वर्ष अधिक, वही जघन्य स्थिति में उत्पन्न हुवा जघन्य उत्कृष्ट पल्योपम आठ भाग की स्थिति में उत्पन्न हावे और सब वैसे ही वक्तव्यता कहना; परंतु कालादेश में ज्योतिषी की
स्थिति अनुसार कहना. वही उत्कृष्ट स्थिति में उत्पन्न हुवा वैसी वक्तव्यता कहना परंतु स्थिति जघन्य. एक कल्पोपम व एक लाख वर्ष अधिक उत्कृष्ट तीन पल्पोपम ऐसे ही अनुबंध कालादेश जघन्य दो पल्योपम है |
चौबीसवा शतक का तेजोमवा