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पंचमान विवाह पण्णन्ति (, भगवती ) सूत्र
पलिओवमाई, पुवकोडीपुहुत्तमभहियाई, सोचेव जहण्णकालट्टिईएसु उवषण्णो एसचेव वत्तव्वया णवरं कालादेसेणं जहण्णेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्त मन्भहियाई, उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीओ चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाओ ॥ सोचव उक्कोसकालट्ठिईएस उववण्णो जहण्णेणं तिपलिओवमट्टिईएसु उक्कोमेणवि तिपलिओवमट्टिईएस अवसेसं तंचेव, णवरं परिमाणं ओगाहणाय जहा एतस्सेव तइयगमए
भवादसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं तिण्णिपलिओवमाइं पुचकोडीए __ अब्भहियाई, उक्कोसणवि तिण्णिपलिओवमाइं पुब्बकोडीए अब्भहियाई, एवइयं जाव
करेज्जा ॥ ९॥ जइ मंणुस्सेहिंतो उववज्जति किं सण्णिमणुस्सेहिंतो असण्णिमणुस्से ? स्थिति में उत्पन्न हुया वही वक्तव्यता कहना. कालादेश से जघन्य पूर्व क्रोड अंतर्मुत अधिक. उत्कृष्ट चार पूर्व क्रोड चार अंतर्मुहून अधिक. वही उत्कृष्ट स्थिति में उत्पन्न हुवा. जघन्य उत्कृष्ट तीन पल्योपम में 3 उत्पन्न होवे. परिमाण व अवगाहना इस के ही तीसरा गमा जैसे कहना. भवादेश से दो भव कालादेश से जघन्य तीन पल्योपम पूर्व क्रोड अधिक और उत्कृष्ट भी तीन पल्योपम पूर्व क्रोड. अधिक इतना यावत् । करे ॥ ९ ॥ अहो भगवन् ! यदि मनुष्य में से उत्पन्न होवे तो क्या संज्ञी मनुष्य में से उत्पन्न होवे ।
१४+ चौवीसबा शतक का बीसवा
भावार्थ