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ge. पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती) मूत्र 480
वासमहस्सेहिं अब्भहियं, उक्कोसेणवि साइरेगं सागरोवमं वावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, एवइयं जाव करेजा ॥ ३३ ॥ णागकुमाराणं भंते ! जे भविए पुढवीकाइए एसचेव वत्तव्वया जाव भवादेसोत्ति, णवरं ट्ठिई जहण्णेणं दसवाससहस्साइं,
२०२३ उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिओवमाइं, एवं अणुबंधोवि ॥ कालादेसेणं जहण्णेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तममहियाई. उक्कोसेणं दो पलिओवमाई देसूणाई वावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहियाई, एवं णववि गमगा असुरकुमार गमगा सरिसा, णवरं ट्ठिई
कालादेसेणं च जाणेजा; एवं जाव थणियकुमाराणं ॥ ३४ ॥ जइ वाणमंतर किं रोपम और वावीस हजार वर्ष. इतना यावत् करे ॥ ३३ ॥ अहो भगवन् ! जो नागकुमार पृथ्वीकाया में 2
उत्पन्न होने योग्य होवे वे वहां कितनी स्थिति से उत्पन्न होवे ? अहो गौतम- ! जैसे असुरकुमार की वक्तहव्यता कही वैसे ही श्वादेश पर्यंत जानना. परंतु स्थिति और अनुबंध जघन्य दश हजार वर्ष उत्कृष्ट देश में
ऊणे दो पल्योपम. कालादेश से जघन्य दश हजार वर्ष अंतर्मुहूर्त अधिक उत्कृष्ट देश ऊणे दो पल्योपम ७ और बावीस हजार वर्ष आधिक. ऐसे ही नवों गमा अमुरकुमार के गमा जैसे, जानना विशेष स्थिति और +कालादेश भिन्न जानना. जैसे नागकुमार का कहा वैसे ही स्तनित कुमार तक का जानना ॥ ३४ ॥ यदि ००/
24 चौबीसवा शतक का बारहवा
भावार्थ