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पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र 2017
णवरं ओगाहणा जहण्णेणं पंचधणुहसयाइं उक्कोसेणवि पंचधणुहसयाई, ठिई अणुबंधो जहण्णेणं पुव्यकोडी उक्कोसेणवि पुव्वकोडी, सेसं तहेव ॥ ३० ॥ जइ देवहितो उववजंति किं भवणवासिदेवेहिंतो उववज्जति, बाणमंतर जोइसिय देवहितो वेमाणिएहिं देवहितो उववज्जति ? गोयमा ! भवणवासि देवोहितावि उववजति जाव वेमाणिय देवहितोवि उववज्जति ॥ जइ भवणवासिंदेवेहितो उववजंति किं असुरकुमार भवणवासिदेवहितो उववजति जाव थणियकुमार भवणवासि ? गोयमा ! असुरकुमार
भवणवासि देवहितो उववजंति जाव थणियकुमार भवणवासि देवहितो उववजंति कहना परंतु अबगान जघन्य उत्कृष्ट पांचसो धनुष्य स्थिति और अनुबंध जघन्य उत्कृष्ट पूर्व क्रोड शेष वैसे ही कहना ॥ ३० ॥ यदि देव में से पृथ्वीकाया में उत्पन्न होते हैं तो क्या भवनपति, वाणव्यतर, जोतिषी या वैमानिक में से उत्पन्न होते हैं ? अहो गौतम ! भवनपति देव में से उत्पन्न होवे यावत् वैमा. निक देव में से उत्पन्न होवे. यदि भवनपति देव में से उत्पन्न होवे तो क्या असुरकुमार भवनपति देव में से उत्पन्न होवे, यावत् स्तनित कुमार भवनपति देव में से उत्पन्न होवे ?. अहो गौतम ! अमुरकुमार भव-390 नवासी देव में से उत्पन्न होवे यावत् स्तनित कुमार देव में से उत्पन्न होवे ॥ ३१॥ अहो भगवन् ! जो
*38*2- चौवीसना शतक का बारहवा उद्देशा 88
भावार्थ