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________________ २६०९ पंचमांग विवाह पण्णति ( भगवती ) मूत्र +8+ गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई ॥ कालादेसेणं वावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्त. मन्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति वास सहस्साई अडयालीसाए संवच्छरेहिं अन्भहियाइं, एवइयं ॥ १९ ॥ सोचेव अप्पणा जहण्ण कालट्ठिईओ जाओ तस्सवि एसचेव वतन्वया, तिसुवि गमएसु णवरं इमाइं णाणत्ताई सरीरोगाहणा जहा पुढवीकाइयाणं णो सम्मट्ठिी मिच्छादिट्ठी, णो सम्मामिच्छादिट्ठी ।। दो अण्णाणा णियमं ॥ णो मणजोगी, णो वइजोगी, कायजोगी ॥ ठिई जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसणवि अंतोमुहुत्तं अज्झवसाणा अप्पसत्था ॥ अणुबंधो जहा ढिई ॥ संवेहो तहेव आदिल्लेसु दोगमएसु तइयगमए भवादेसो तहेव अट्ठभवा, कालादेसेणं जहण्णेणं वावीसं वाससहस्साई, बावीस हजार वर्ष अंतर्मुहूर्त अधिक. उत्कृष्ट अठासी हजार वर्ष और अडतालीस वर्ष अधिक ॥ १९ ॥ वही जघन्य स्थितिवाला उत्पन्न हुवा उस के तीनों गमा भी वैसे ही कहना. परंतु शरीर अवगाहना जैसी पृथ्वीकाया की कही वैसे ही कहना. समदृष्टि आर सममिथ्यादृष्टि नहीं परंतु मिथ्यादृष्टि दो अज्ञान की नियमा, मनयोगी व वचन योगी नहीं परंतु काया योगी. स्थिति जघन्य उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त, अध्यवसाय अप्रशस्त अनुबंध स्थिति. जैसे कहना. पहिले दो गमा में मंच पहिले जैसे कहना. तीसरा गमा में भवादेश 4887 चौबीसवा शतक का बारहवा उद्देशा 988 4
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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