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________________ २००४ मुनि श्री अमोलक ऋषीनीक सहस्स एवइयं ॥ अट्टमगमए कालादेसेणं जहण्णेणं सत्तवाससहस्साई अंतोमुहुत्त मम्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठावीस वाससहस्साई चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाई एवइयं । णवमगमए भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं एगूणतीसं वाससहस्साई, उक्कोसेणं सोलसुत्तर वाससहस्सं एवइयं कालं, एवं णवसुवि गमएसु आउकाइयट्टिती जाणियव्वा ॥ १३ ॥ जइ तेउकाइएहितो उववजंति तेउकाइयाणवि, एसचेव वत्तव्वया णवरं णवसुवि गमएमु तिण्णि लेस्साओ ॥ तेउकाइयाणं सूइकलावसंट्रिया दिई जाणियव्वा ततियगमए ॥ कालादेयावत् करे. आठवा गमा में जघन्य सात हजार वर्ष अंतर्मुहूर्त अधिक और उत्कृष्ट अठावीस हजार वर्ष चार अंतर्मुहूर्त अधिक. नववा गमा में भवादेश से जघन्य दो भव उत्कृष्ट आठ भव. कालादेश से जघन्य : गुनतीस हजार वर्ष ७००० वर्ष अप्काया के और २२००० वर्ष पृथ्वीकाया के उत्कृष्ट एक लाख नमोलह हजार इस तरह नवों गमा में अप्काया की स्थिति कहना ॥ १३ ॥ यदि तेउकाया में से उत्पन्न होवे तो क्या सूक्ष्म बादर वगैरह चार भेद कहना और मक वैसे ही कहना. परंतु नवों गमाओं में तीन जलेश्या कहना. तेउकाया का संस्थान सूचि के समुह जैसा कहना. तीसरा गमा में कालादेश से जघन्य •प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी. भ E
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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