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________________ भावार्थ | 48 अनुवादक - बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी उववज्जंति ? गोयमा ! णो णेरइएहिंतो उववज्र्ज्जति तिरिमणु-देवेर्हितो उववज्जति ॥ १ ॥ जइ तिरिक्ख जोणिएहिंतो उववज्जंति किं एगिंदियतिरिक्खजोणिए एवं जहा वक्कतीए उववाओ जाब जइ वादरपुढवीकाइय एगिदिय तिरिक्ख जोणिएहिंतो उववज्जति किं पजत बादर जाव उववज्जंति अपज्जन्तबादरपुढवी जाव उववज्जंति ? गोमा ! पज्जत्तबादरपुढवी अपज्जत्तबादरपुढवी जाव उववज्जति ॥ २ ॥ पुढवी काइएणं भंते ! जे भविए पुढवीकाइएस उववज्जित्तए सेणं भंते! केवइय कालट्ठिईएस उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहु तट्ठिईएस उक्कोसेणं वास नारकी में से नहीं उत्पन्न होत्रे परंतु तिर्यंच मनुष्य व में से उत्पन्न होंवे ॥ १ ॥ तिर्यंच में से उत्पन्न { होवें तो क्या एकेन्द्रिय में से उत्पन्न होवे ऐसे ही जैसे व्युत्क्रान्ति उपपात वगैरह यावत् यदि बादर पृथ्वी काया एकेन्द्रिय तिर्यंच में से उत्पन्न होते हैं तो क्यों पर्याप्त बादर यावत् उत्पन्न होते हैं या अपर्याप्त { बादर यावत् उत्पन्न होते हैं? अहो गौतम! पर्याप्त वादर पृथ्वी में से उत्पन्न होने और अपर्याप्त बादर पृथ्वी { यावत् उत्पन्न होवे ॥२॥ अहो भगवन् ! पृथ्वी काया पृथ्वीकाया उत्पन्न में होने योग्य होवे तो वे कितने कालकी ( स्थिति से उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! जघन्य अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट बाबीसं हजार वर्ष की स्थिति से उत्पन्न * प्रकाशक राजीवहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * २५९६
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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