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________________ सूत्र भावार्थ 4 पंचांग विवाहपण्णति । भगवती ) सूत्र "माणकसाए मायाकसाए लोभकसाए ॥ १२ ॥ तेसिणं भंते! जविाणं कइइंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचिंदिया प० तं सोईदिए चक्खिदिए जाव फार्सिदिए ॥ १३ ॥ सिणं भंते! जीवाणं कइसमुग्धाया पण्णत्ता ? गोयमा ! तओ समुग्धाया पण्णत्ता, तंजा-वेदणा समुग्धाए कसाय समुग्धाए मारणंतिय समुग्वाए || १४ || तेणं भंते ! जीवा किं सातावेदगा असातावेदगा ? गोयमा ! सातावेदगावि असातावेदगावि ॥ १५ ॥ ते भंते! जीवा किं इत्थीवेदगा पुरिसवेदगा णपुंसगवेदगा ? गोयमा ! णो इत्थवेदगा, णो पुरिसवेक्ष्गा णपुंसगवेदगा ॥ १६ ॥ तेसिणं भंते! जीवाणं ऐसी चार कषय कहीं हैं ॥ १२ ॥ अहो भगवन् ! उन को कितनी इन्द्रियों कही हैं, अहो गौतम ? उन को श्रोत्रेन्द्रिय, चक्षइन्द्रिय यावत् स्पर्शेन्द्रिय ऐसी पांच इन्द्रियों कही हैं ॥ १३ ॥ समुद्धात द्वार अहो भगवन् ! उन को कितनी रुमुद्धात कही ? अहो गौतम ! उन को वेदना, कषाय व मारणांतिक ऐसी तीन समुद्धात कढी || १४ || वेदक द्वार अठो भगवन् ! वे जीवों क्या साता वेदने वाले हैं या असाता वेदनेवाले हैं ? अहो गीतम ! वे सातावेदनेवाले और असाता भी वेदने वाले हैं ।। १५ ।। अहीं भगवन् ! }वे जीवों क्या स्त्री वेदी, पुरुष बेदी या नपुंसक वेदी हैं ? अहो गौतम ! स्त्री वेदी व पुरुष वेदी नहीं हैं। 4- चौवीसत्रा शतक का पहिला उद्देशा २५३७
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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