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________________ परेसियत्स ॥ पंचवण्णावि तहेव णवरं वत्तीसइमोवि भंगो भण्णइ, एवमेते एकग दुयगतियग चउक्कग पंचग संजोएसु दोणि सत्ततीसं भंगसयं भवति ॥ गंधा जहा णवपदेसियस्त ॥ रसा जहा एयरस चेव वण्णा फासा जहा चउप्पदेसियस्स ॥ जहा दसपदेसिओ. एवं संखेजपएसिओ एवं असंखेजपएसिओवि सुहुमपरिणओ अणंत पएसिओ एवं चेव, ॥१०॥ बादरपरिणएणं भंते! अणंतपदेसिए खंधे कइवण्णे? एवं जाव अट्ठारसमे सर जाव सिय अट्टफासे पण्णत्तेवण्णगंधरसा जहा दसपदेसियरस॥जइ चउफासे कहना यावत् चार स्पर्श. यदि एक वर्ण होवे तो एक वर्ण के पांच मांगे दो वर्ण के द्विसंयोगी ४०, तीन संगेगी ८०, चार मयोगी ८० भांगे होवे. यादे पांच वर्ण होवे तो ३१ भांगे पूर्वोक्त जैसे जानना और ३२ वा स्यात् काला, हरा, लाल, पीला व श्वेत सब अनेक वचन क्यों कि दश प्रदेशिक स्कंध है. वर्ण के IFमब मिलकर २३७ भांगे होते हैं. गंध के हरम के २३७ वर्ण जेमे और स्पर्श के ३६ चतुष्क प्रदेशिक कंच जमे कहना. यह दश प्रदेशी स्कंध के ५१६ भांगे हुवे. ऐसे ही संख्यात प्रदेशिक व असंख्यात प्रदेशिक का मानना. सूक्ष्म परिणत अनंत प्रदेशिक स्कंध का भी वैसे ही कहना ॥ १० ॥ अहो अगवन् ! बादर परिणत अनंत प्रदेशिक स्कंध में कितने वर्ण, मंध, स्म व स्पर्क को हुवे हैं ? अहो मौतम ! जैस - पंचमांग विवाह पण्णचि ( भगवती ) सूत्र 498 486+-बीसबा शतक का पांचवा उद्देशा 4.7607 , | 1
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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