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सियकालंगाय णीलगाय लोहितगाय हालिद्दएय सुकिल्लएय २६, एए पंचसंजोएणं छब्बीस भंगा भवंति, एवामेव सपुव्वावरेणं एक्कगदुयगतियग चउकाग पंचग संजोगेहिं एकतीसं भंगसयं भवति ॥ गंधा जहा सत्तपदेसियस्स ॥ रसा जहा एयस्स चेववण्णा ॥ फासा चउप्पदेसियस्त ॥ ८॥ णवपदेसियस पुच्छा ? गोयमा ! सिंय एगवण्णे जहा अट्टपदेसिए जाव सिय चउफासा पण्णत्ता ॥ जइ एगवण्णे
एगवण्ण दुवण्ण तिवण्ण चउवण्णा जहेब अट्ठपदेसियस्स ॥ जइ पंचवण्णे- सिय भावाथ
लाल अनेक पीला व शुक्ल एक यों पांच वर्ण के पांच संयोगी२६भांगे हुवे. ऐसे ही अनुक्रम से पांच वर्ण के सब मिलकर २३१ भांग होते हैं. गंव का सात प्रदेशी स्कंध जैस कहना. रस का इस के वर्ण जैसे कहा
और स्पर्श का चार प्रदेशी स्कंध जैसे ३६ भांगे जानना. सब मिलकर आठ प्रदेशी स्कंध के ५०४ भांग होते हैं ॥ ८ ॥ अहो भगवन् ! नव प्रदेशिक स्कंध में कितने वर्ण गंध रस ब स्पर्श पाते हैं ? अहो ।
गौतम ! स्यात् एक वर्ण दो तीन यावत् पांच यों ही दो गंध, पांच रस व चार स्पर्श के आठ प्रदेशिक PA स्कंध जैसे जानना. यदि एक वर्ण होवे तो एक वर्ण के पांच भांगे, दो वर्ण के ४० भांगे, तीन वर्ण के V८० भांगे, चार वर्ण के ८० भांगे यों सब भांगे आठ प्रदेशिक स्कंध जैसे जानना. यदि पांच वर्ण पावे ..!
* पंचमांग विवाह पस्णत्ति (भगवती) सूत्र
वसिवा शतक का पांचवा उद्देशा 4888