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________________ - 488 उद्देसो सम्मत्तो ॥ १९ ॥ ९॥ वाणमंतराणं भंते ! सव्वे समाहारा एवं जहा सोलसमसए दीव कुमारुहेसए जाव अप्पिट्टियत्ति ॥ सेवं भंते ! भंतेत्ति ॥ एगूणवीसइमस्स दसमो उद्देसो सम्मत्तो ॥ १९॥ १० ॥ एगूणवीसइमं सयं सम्मत्तं ॥ १९ ॥ व संस्थान. यह उन्नीसवा शतक का नववा उद्देशा संपूर्ण हुवा ॥ १९ ॥ ९ ॥ नववे उद्देशे में करण का कथन किया. आहार भी करने से ही होता है, इसलिये इस उद्देशे में आहार में का कथन करने हैं. अहो भगवन् ! क्या सब बाणव्यंतर समान आहार करनेवाले हैं ऐसे ही जैसे सोलहले शतक में द्वीप कुमार उद्देशे में कहा वैसे ही यावत् अल्प ऋद्धिवाले कहना. अहो भगवन् ! आपके वचन सख हैं. यह उन्नीसवा शतक का दशवा उद्देशा संपूर्ण हुवा॥१९॥१०॥यह उन्नीसवा शतक समाप्त हु॥१९॥ (०) पंचमाङ्ग विवाह पण्णात्ति ( भगवती ) सूत्र उनीसवा शतक का दशवा उद्देशा 4g 488
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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