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________________ समुद्दा ? एवं जहां जीवाभिगमे दीव समुद्देसो सोचेव इहवि, जोइसमंडि उद्देसगवज्जो । भाणियवो जाव परिणामो जीव उववाओ जाव अणंतखुत्तो ॥ सेवं भंते २ ति ॥ एगणवीसइमस्स छट्ठो उद्देसो सम्मत्तो ॥ १९ ॥ ६॥ . केवइयाणं भंते ! असुरकुमारभवणावास. सयसहस्सा.पण्णत्ता ? गोयमा ! चउसट्रिं अमुरकुमारभवणावाससयसहस्सा पण्णत्ता॥॥तेणं भंते! किंमया पण्णत्ता ? गोयमा ! सव्वरयणामया अच्छा सण्हा जावपडिरूवा ॥२॥तत्थणं बहवे जीवाय पोग्गलाय वक्कमंति भावार्थ प्रश्न करते हैं. अहो भगवन् ! द्वीप समुद्र कहां हैं? द्वीप भमुद्र कितने हैं ? उन का कैसा संस्थान है ? इन सब प्रश्नों का उत्तर जीवाभिगम सूत्र में द्वीप समुद्र उदेशे में जैसे कहा वैसे ही यहां जानना. मात्र ज्योति 5षीकी वक्तव्यता नहीं कहना. सब कथन परिणाम पर्यंत कहना. अहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं. यह उन्नीसवा शतक का छठा उद्दशा संपूर्ण हुवा ॥ १९ ॥ ६॥ (०) (०) } है छठे उद्देशे में द्वीप समुद्र का कथन कहा. द्वीप समुद्र में देवता के आवास हैं इस से देवता के आवास। का प्रश्न करते हैं. अहो भगवन् ! असुर कुमार को रहने के लिये कितने लाख भवन कहे हैं गौतम ! अमुर कुमार को रहने के लिये चौसठ लाख मवन कहे हैं ॥१॥ अहो भगवन् ! वे भवन किस से बने हुए हैं ? अहो गौतम! वे सब रत्नों के बने हुवे सुंदर यावत् प्रतिरूप हैं॥२॥ वहां बहुत %> पंचमांगविवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र 46 48. उन्नीसवा शतक का सातवा उद्देशा 488 4
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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