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पंचमांग विवाह पस्णत्ति ( भगाती ) सूत्र 88+
या अप्पासवा, अप्पकिरिया, अप्पवेयणा, महाणिजरा ? णो इणट्रे समटे ॥ १५ ॥ सिय भंते ! णेरइया अप्पासवा, अप्पकिरिया, अप्पवेयणा, अप्पणिजरा ? णो इणट्टे समटे ॥ १६ ॥ एएसोलस भंगा ॥ सिय भंते ! असुरकुमारा महासवा महाकिरिया, महावेयणा, महाणिज्जरा ? णो इण? समटे ॥ एवं चउत्थो भंगो भाणियव्वो ॥ सेसा पन्नरस भंगा खोडेयव्वा, एवं जाव थणियकुमारा ॥ १७ ॥ सिय भंते ! पुढवी काइया महासवा, महाकिरिया, महावेयणा, महाणिजरा ? हंता सिया ॥ एवं जाव
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व महा निर्जरावाले हैं ? अहो गौतम ! यह अर्थ योग्य नहीं है ॥ १५ ॥ अहो भगवन् ! क्या नारकी अल्प आश्रव, अल्प क्रिया, अल्प वेदना व अल्प निर्जरावाले हैं ? अहो गौतम ! यह अर्थ योग्य नहीं है. ये सोलह भांगे हुए ॥ १६ ॥ अहो भगवन् ! क्या अमुर कुमार महा आश्रव, महा क्रिया, महा वेदना व महा निर्जरावाले हैं ? अहो गौतम ! यह अर्थ योग्य नहीं है. असुर कुमार में चौथाई
भांगा कहना. जिस का नाम महाआश्रय, महाक्रिया, अल्प वेदना व अल्प निर्जरावाले असुर कुमार BE देव हैं. शेष पनरह भांगे नहीं पाते हैं. ऐसे ही स्तनित कुमार पर्यंत कहना ॥ १७ ॥ अहो भगवन् !
क्या पृथ्वी कायिक महा आश्रव, महा क्रिया, महा वेदना व महा निर्जरावाले है ? हां गौतम ! है
* उनिसवा शतक का चौथा उद्देशा 48
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