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________________ मुनि श्री अमोलक ऋषिनी + ..प्रकाशक-राजाबहादुर लाला भावार्थ सवा, महाकिरिया, महावेयणा, अप्पणिज्जरा ? णो इणट्टे समटे । १. ॥ सिय भंते ! णेरइया-अप्पासवा, महाकिरिया, अप्पवेयणा महाणिज्जरा ? णो इणटे समढे है ॥ ११ ॥ सिय भंते ! णेरइया अप्पासवा महाकिरिया, अप्पवेयणा, अप्पणिज्जरा ? णो इणट्रे समटे ॥ १२ ॥ सिय भंते ! णेरइया अप्पासवा. अप्पकिरिया महावेयणा महाणिज्जरा ? णो इणटे समटे ॥ १३ ॥ सिय भंते ! णेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया, महावेधणा अप्पणिज्जरा ? णो इण? समढे ॥ १४ ॥ सिय भंते ! जेरइयोग्य नहीं हैं ॥ ९ ॥ अहो भगवन् ! क्या नारकी अल्प आश्रव, महा क्रिया, महा वेदना व अल्प निर्जरावाले हैं ? अहो गौतम ! यह अर्थ योग्य नहीं है ॥ १० ॥ अहो भगवन् ! क्या नार अल्प आश्रव, यहा क्रिया, अल्प वेदना व महा निर्जरावाले हैं ? अहो मौतम ! यह अर्थ योग्य नहीं है ॥ ११ ॥ अहो भगवन् ! क्या नारकी अल्पआश्रव, महा क्रिया, अल्प वेदना व अल्प निर्जरावाले हैं ? अहो गौतम : यह अर्थ योग्य नहीं है ॥ १२ ॥ अहो भगवन् ! क्या नारकी अल्प आश्रव, अल्प क्रिया, महा वेदना व महा निर्जरावाले हैं ? अहो गौतम ! यह अर्थ योग्य नहीं है ॥ १३ ॥ अहो भगवन् ! क्या नारकी अल्प आश्रय, अल्प क्रिया, महा वेदना व अल्प निर्जरावाले हैं ? अहो ग यह अर्थ योग्य नहीं है ॥ १४ ॥ अहो भगवन् ! क्या नारकी अल्प आश्रव, अल्प क्रिया, 3
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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