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________________ भावार्थ पंचांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र तेउसरीरे, असंखेजाणं बादर तेऊकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे बादर आउसरीरे असंखेजाणं बादर आउकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे बादर पुढवी सरीरे, एमहालणं गोयमा ! पुढची सरीरे पण्णत्ते ॥ १९ ॥ पुढवी काइयस्सणं भंते! के महालया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहा णामए रण्णो चाउरंतचक्कत्रस्सि वण्णगपेसिया तरुणी बलवं जुगवं जुवा अप्पायंका वण्णओ, जाव निपुणसिप्पेवगया वरं चम्मेदुदुहणमुट्ठियसमाहयणिचियगत्तकायान भण्णइ, सेसं तंचेव जाव निपुण सिप्पोवगया, तिक्खाए वइरामईए सण्हकरणीए तिक्खेणं वइरामएणं वट्टावर(तेजकाया का शरीर, असंख्यात बादर तेउकाया के शरीर जितना बादर अप्काया का शरीर, असंख्यात बादर अपकायाके शरीर जितना एक बादर पृथ्वीकायिकका शरीर होता है. अहो गौतम ! बादर पृथ्वी काया का इतना बडा शरीर कहा है ॥ ११ ॥ अहो भगवन् ! पृथ्वी काया की कितनी अवगाहना कही अहो गौतम ! चारों दिशिके अंत तक संपूर्ण भरत क्षेत्र में राज्य करनेवाला चक्रवर्ती राजा की बलवान युवावस्थावाली जरा त्र रोगरहित चंदन पीसनेवाली का कहा वैसे यावत् चमेठगादि व्यायाम क्रियाके उपकरण रहित सब कहना ऐसी शिक्षा में निपुण तरुणी लाखके गोले समान पृथ्वीकाया लेकर तीक्ष्ण वज्रमय लोहे के पत्थर से ? उन्नीसवा शतक का तीसरा उद्देशा 48 २३९५
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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