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488+ पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र +8+
निओयस्म पजत्तगरस अहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा ३९ तस्सचेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया ४०, तस्सचेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया, ४१, पत्तेयसरीर वादरवणस्सइकाइयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा ४२, तस्सचेव अपजत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा असंखेजगुणा ४३, तस्सचेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया असंखेजगुणा ४४, ॥ १७ ॥ एयस्सणं भंते !
पुढवीकाइयरस आंउकाइयस्स तेऊ-वाऊ-बाणस्सइ काइयरस कयरे काए सन्सुहुमे, B२७-२९ तीन बोल बादर वायुकायाका,३०-३२तीन बोल घादर ते उकाया,३३-३५ तीन बोल बादर अप्कायाका
और ३६-३८ तीन बोल बादर पृथ्वीकायाका जानना. ३९ इससे बादर निगोद के पर्याप्ताकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुनी, ४० इससे बादरनिगोद के अपर्याप्ताकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक, ४१ इस से बादर निगोदई के पर्याप्ताकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक. ४२ इससे त्यके शरीरी बादर वनस्पति काय के पर्याप्ताकी जघन्य १ अवगाहना असंख्यातगुनी, ४३ इस से अपर्याप्ताकी उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यातगुनी, ४४ इस से प्रत्येक शरीरी * बादर वनस्पतिकाया के पर्याप्ताकी उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यातगुनी ॥१.॥ अहो भगवन् ! इन पृथ्वीकाय,0%
अप्काय, तेउकाय, वायुकाय. व वनस्पति काया में कौन सर्व सूक्ष्म है और कौन सर्व सूक्ष्मतर है ?
1880 अनीसवा शक का तीसरा उद्देशा 48
थावार्म