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________________ 49 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी णणं ते सोमिला ! बंभण्णएसु दुविहा मासा पण्णत्ता, तंजहा-दव्वमासाय कालमासाय ।। तत्थणं जे ते कालमासा तेणं सावणादीया आसाढ पज्जवसाणा दुवालस पण्णत्ता तंजहा-सावणे, भद्दवए, आसोए, कत्तिए, मग्गसिरे, पोसे, माहे, फागुणे, चेते, वइसाहे, जेट्ठामूले, आसाढे, तेणं समणाणं णिग्गंथाणं अभक्खया, तत्थणं जे ते दवमासा ते दुविहा पण्णत्ता, तंजहा- अत्थमासाय धण्णमासाय ॥ तत्थणं जे ते अत्थमासा ते दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-सुवण्णमासाय, रुप्पमासाय, तेणं समणाणं णिग्गंथाणं अभक्खया; तत्थणं जे ते धण्णमासा ते दुविहा षण्णत्ता, तंजहा सत्थकिस कारन से भक्ष्य भी है और अभक्ष्य भी है ? अहो सोमिल ! ब्राह्मण शास्त्र से मास के दो भेद किये हैं ! १ द्रव्य मास और २ काल मास. उन में जो काल मास है वे श्रावण से आषाढ पर्यंत बारह जिन के नाम. १ श्रावण २ भाद्रपद ३ आसोज ४ कार्तिक ५ मृगशर ६ पोष ७ माघ ८ फाल्गुन ९ चैत्र १० वैशाख ११ ज्येष्ट मूल और १२आषाढ. उक्त बारह मास श्रमण निग्रथों को अभक्ष्य हैं अब जो द्रव्य माम है उस के दो भेद कहे हैं. १ अर्थ (धन) मास और २ धान्य मास: अर्थ मास के दो भेद सोने का मासा और रुपे का मासा. ये भी श्रमण निर्ग्रन्थों को अभक्ष्य हैं. अब धान्य मास जो है उन * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ Annnnnnn.
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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