________________
सूत्र
भावार्थ
48+ पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र
देवा अणते कम्मले दोहिं वाससहरसेहिं खवयंति, एवं एएवं अभिलावेणं बंभलोगंतगा देवा अनंत कम्मंसे तिहिं वाससहस्सेहिं, महासुक्कसहस्सारगा देवा अणते उहिं वाससहस्सेहिं जवयंति, आणयपाणयआरणअच्चुयगा देवा अनंते कम्मंसे पंचहिं वाससहस्सेहिं खयंति, हेट्ठिमगेवेज्जगादेवा अणंते कम्मंसे एगेणं वासस्य सहरसेणं खवयंति, मज्झिमगवेजगा देवा दोहिं वाससयस हस्सेहिं खवयंति, उवरिमगेवे अगा देवा अनंते कम्मंसे तिहिं वासस्यसहस्सेहिं खत्रयंति, विजयवजयंतजयंतअपराजियगा देवा अनंते कम्मंसे चउहिं वाससयस हस्सेहिं खबयंति, सव्वट्टसिद्धगा व ईशान देवलोक के देवता अनंत पापकर्मश एक हजार वर्ष में में खपावे, सनत्कुमार व माहेन्द्र देवलोक के ? देवता दो हजार वर्ष में खपावे, ब्रह्मलोक व लांतक देवलोक के देवता अनंत पापकमशि तीन हजार वर्ष में महाशुक व सहस्रार देवलोक के देवना चार हजार वर्ष में, आनत प्राणत आण व अच्युत देवलोक के देवता (अनंत पापकर्मशि पांच हजार वर्ष में, नीचे की ग्रैवेयक के देवों दो लाखवर्ष में खपावे, उपर की ग्रैवेयक के देवता तीन लाख वर्ष में खपात्रे, विजय वैजयंत जयंत व अपराजित के देवता चार हजार वर्ष में और सर्वार्थ
488+ अठारहवा शतक का सातवा उद्देशा -
२३५५