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पभू देवेणं भंते ! महिड्डीए एवं धायइखंडदीवं जाव हंता पभू॥एवं जाव रुयगवरं दीवं जाव हंता पभू ॥ तेणं परं वाईवएजा णो चेवणं अणुपरियटिजा ॥ २२ ॥ अत्थिणं भंते ! देवा जे अणते कम्मंसे जहण्णेणं एक्कणवा दाहिंवा तिहिंवा उक्कोसेणं पंचहिं २१५३ वाससएहिं खवयंति ? हंता अस्थि । अत्थिणं भंते । देवा जे अणते कम्मसे जहण्णेणं एक्कणवा दोहिंवा तिहिंवा उक्कोसेणं पंचहिं वाससहस्सेहिं खवयंति ? हंता अस्थि॥ अत्थिणं भंते ! देवा जे अणंते कम्मसे जहणेणं एकणवा दोहिंवा तिहिंवा
उक्कोसेणं पंचहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति ? हंता अस्थि ॥ २३ ॥ कयरे भंते ! भावार्थ व महामुख वाला देव क्या लवण समुद्र को अनुपर्यटन करके आनेको समर्थ है? हां गौतम ! समर्थ में
है. ऐने ही धातकी खंड द्वीप यावत् रुचकद्वीप का जानना. उस के आगे के दीप को उल्लंघने में समर्थ है परंतु उनकी पर्यटना करने में समर्थ नहीं है. ॥२२॥ अहो भगवन् ! ऐसे क्या देवों हैं कि जो अनंत पापक्रमाश जघन्य एक दो तीन उत्कृष्ट पांचसो वर्ष में खपावे ? हां गौतम ! ऐसे देवों हैं. अहो भगवन् !131
ऐसे देवों क्या हैं कि जो अनंत पापकर्माश एक दो तीन उत्कृष्ट पांच हजार वर्ष में खपावे? हां मौतम ! हैं. अहो । , भगवन् ! क्या ऐसे देव हैं कि जो अनंत पापकर्माश जघन्य एक दो तीन उत्कृष्ट पांच लाख वर्ष में खपावे ? '1
पंचांग विवाह परणत्ति (भगवती) सूत्र 428+
अठारहवा शतक का सा