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सूत्र 08
भावार्थ
गोयमा ! दोन्हं पुरिसाणं कयरे पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे, कयरे पुरिसे जो पासादी जाव णो पडिवे, जेवा से पुरिसे अलंकिय विभूसिए जेवासे पुरिसे अणलंकियविभूसिए ? भगवं ! तत्थ जे से पुरिसे अलंकियविभूसिए सेणं पुरिसे पासादीए जाव पडिरूव, जेवासे पुरिसे अणलंकियविभूसिए सेणं पुरिसे णो पासादीए जाव णो पडिरूत्रे । से तेणट्टेणं जाव णो पाडेरूत्रे || १ || दो भंते ! णागकुमारा देवा एगंसि नागकुमारावासंसि एवंचेव, एवं जाव थणियकुमारा, ॥ वाणमंतर जोइसिय वेमाणिया एवंचेव ॥ २ ॥ दो भंते ! णेरइया एगंसि णेरइयावासंसि प्रतिरूप नहीं है ? अहो गौतम ! जैसे इस मनुष्य लोक में दो पुरुषों हैं जिन में एक पुरुष वस्त्रालंकार अलंकृत व आभूषणों से विभूषित है और दूसरा पुरुष अलंकृत व विभूषित नहीं है. अब उन में कौनसा (पुरुष प्रासादिक यावत् प्रतिरूप है और कौनसा पुरुष प्रासादिक यावत् प्रतिरूप नहीं है ? अहो भगवन् जो पुरुष वस्त्र अलंकार से अलंकृत व आभरणों से विभूषित है वह पुरुष प्रासादिक है, और जो पुरुष अलंकृत व विभूषित नहीं है वह प्रासादिक यावत् प्रतिरूप नहीं है; इसलिये ऐसा कहा गया है यावत् प्रतिरूप नहीं है ॥ १२ ॥ ऐसे ही नागकुमार यावत् स्तनितकुमार वाणव्यंतर, ज्योतिषी व वैमानिक का जानना ॥ २ ॥ अहो
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4 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
अठारहवा शतक का पांचवा उद्देशा 48
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