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________________ - aaaaaaaaaaaa go 488 पंचमांग विवाह प्रज्ञप्ति ( भगवती ) सूत्र ign २४२ लोक का संस्थान ८६४ सप्तम शतक का-तीसरा उद्देशा ८९५ : १ ०७/२४३ श्रावकको सामायिक सम्परायक्रिया८६४ २५८ वनस्पति के न्यूनाधिक आहार काल २४४ पृथ्वीखोदते बस मरेको प्रत्या २५९ मूल दादी के पथक २ जीवों ख्यान खंडन नहीं होवे ...८६६ .२६० अनंत काय कंद मूल के नाम २४५ साधु को शुद्ध आहार देते सहायदान होवे८६७ २६.. लेश्यानुसार कर्म न्युनाधिक ८९९ २४. साधु को आहार देते मोक्ष प्राप्त करे. ८६७ २६२ वेदना निर्जरा की भिन्नता ९०१ २४७ अकर्मि जीव की गति के दृष्टांत ८६९ २६१ नेरीये के साता असाता दोनों हैं ९०५ २४८ दुःखी दुःख को स्पर्शता है क्या ? ८७३ १२४९ साधु अयत्ना से कार्य कर्ता संपराइ क्रिया८७४ सप्तम् शतक का-चौथा उद्दशा ९. १२५० इंगाल धूम्र दोषवाला आहार ८७६ २६४ संसारी जीवों छ प्रकार के १.२५६ क्षेत्र काल मार्ग प्रमाण अतिक्रन्त आहार ८७८ ___ सप्तम शतक का-पांचवा उद्देशा २५३शास्त्रातीत एषणी वेषणी समुदानी आहार८४१ २६५ खेचरकी तीन प्रकार की योनी ९०८ -- सातवे शतक का-दूसरा उद्देशा. ८८३ सप्तम् शतक का छठा उद्देशा ९१० २५४ सुप्रत्याख्यान दुपत्याख्यान ८८३ २६६ यहां आयुष्य बंधे वहां भोगवे ९१०१ १२५५ प्रत्यख्यान दो प्रकार के ८८७ २६७ यहां अल्पवेदना वहां महावेदना ९१११ १२५६ जीव प्रत्याख्यानी अप्रत्याख्यानी ? ८९३ २६७ अभोगनिवृति अनाभोगनिवृति आय ९१३१० ११२५७ जीव शाश्वता की अशाश्वता ?. ८९४ | २६८ अठारापापसे कर्कश वेदनी कर्म बन्धे ९१४/ विषयानुक्रमाणिका 48
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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