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________________ शब्दार्थ १८ भावार्थ अमोलक ऋषिजी. 4 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोर क० कितने प्रकार मु० स्वप्न दर्शन प० कहे गौ० गौतम पं० पांच प्रकार के मु० स्वप्न दर्शन प.* देविड्डी जाव अभिसमण्णागया ॥ २० ॥ गंगदत्तस्सणं भंते! देवस्स केवइयं कालं' ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! सत्तसागरोवमाई ठिई पण्णत्ता ! गंगदत्तण भंते ! देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं जाव महाविदहवासे सिझिाहिइ, जाव अंतं काहिति सेवं भंते भंतेत्ति सोलसमस्स पंचमो उद्देसो सम्मत्तो ॥ १६ ॥ ५ ॥ ... कइविहेणं भंते ! सुविणदंसणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे सुविणदंसणे षण्णत्त, बैं हुवा है. अहो गौतम ! इस तरह गंगदत्त देवने ऐसी दीव्य देव ऋद्धि यावत् प्राप्त की है ॥ २० ॥ अहो । भगवन् ! गंगदत्त देव की कितनी स्थिति कही है ? अहो गौतम ! गंगदत्त देव की सात सागरोपम की स्थिति कही है. और वह वहां से आयुष्य क्षय यावत् महाविदेह क्षेत्र में सीझेगा बुझेगा व सब दुःखों का अंत करेगा. अहो भगवन् ! आप के वचन सत्य हैं. यह सोलहवा शतक का पांचवा उद्देशा* संपूर्ण हुवा ॥ १६ ॥५॥ है पांचवे उद्देशे में गंगदत्त को सिद्धि कही. किसी भव्य को स्वप्न से सिद्धि, की प्राप्ति होती है इसलिये आगे स्वप्न का कथन करते हैं. अहो भगवन् ! स्वप्न दर्शन के कितने भेद कहे हैं ? अहो गौतम ! स्वप्न दर्शन के पांच भेद कहे हैं. जिन के नाम. . १ जिस तरह सत्य है वेसा स्वप्न आव सो यथातथ्य * काशक राजविहदुरे लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादमी * 1
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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