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________________ : सूत्र <a MAAAAAAAAN २२०३ शब्दार्थ १० एक जम्बू चे० उद्यान ते० उस काल ते. उस समय में मा० स्वामी स० पधार जा. यावत् प० । पर्युपासना करने लगी ॥१॥ ते. उस काल ते • उस समय में स. शक्र दे०देवेन्द्र दे० देवराजा २०१४ हस्त में वज्रवाले ए. ऐसे ज• जैसे वि० द्वीतीय उ० उद्देशे में त. तैसे दि० दीव्य जा. यान । विमान मे आ० आया जा० यावत् जे० जहां स० श्रमण भ० भगवंत म० महावीर ते. वहां उ० आकर जा. यावत् ण. नमस्कार कर एक ऐसा ब. बोले दे० देव भं भगवन म० महर्द्धिक जा. यावत् म०१३ चेइए वण्णओ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएण सामी समोसढे जाव पज्जुवासइ ॥१॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के देविंदे देवराया वजपाणी एवं जहेव बितिए उद्देसए से तहेव दिव्वेणं जाणविमाणेणं आगओ, जाव जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छइत्ता जाव णमंसित्ता एवं वयासी-देवेणं भंते ! महिड्डिए उस काल उस समय में उल्लुका तीर नामक नगर वर्णन योग्य था. उस की ईशान कौन में एक जम्बूक उद्यान था. उस काल उस समय में स्वामी पधारे परिषदा वंदन करने को आइ यावत् पर्युपासना क लगी॥१॥ उस.काल उस समय में हस्त में वज्र धारन करनेवाला वगैरह जैसे दूसरे उद्देशे में कहा वैसे गणों सहित शक्र देवेन्द्र यान विमान से आया. यावत् जहां श्रमण भगवंत महावार और श्री श्रमण भगवंत महावीर को वैदना नमस्कार कर बोला कि अहो भगवन्!महर्दिक यावत् महा मुख विवाह पण्णप्ति > सोलहवा शतक का पांचा उदंशा 42 भावार्थ पंचमाङ्ग 19
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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