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________________ 3 कम्मं णिजरेंति एवइयं कम्म गरएसु गैरइया वाससहस्सेणवा वाससहस्सहिंवा वास सयसहस्सेणवा खवयंति ? णो इणटे सम? ॥ ३ ॥ जावतियं णं भंते ! अटुम.. भत्तिए समणे गिग्गंथे कम्मं णिजरेइ एवइयं कम्मं णरएसु जरइया वाससयसहस्से णवा वाससयसहस्सहिंवा वासकोडीएवा , खवयंति ? णो इणटे समढे ॥ ४ ॥ जावइयंणं भंते ! दसमभत्तिए समणे णिग्गंथे कम्मं णिजरेइ एवइयकम्मं णरएसु णेरइया वासकोडीएवा वासकोडीहिंवा वासकोडाकोडीएवा खवयंति? णो इणटेसमटे ॥५॥से थावा भगवन् ! छठ भक्त (बेला ) की तपश्चर्या करता हुवा श्रमण निग्रंथ जितने कर्म खपाये उतने कर्मों क्या नरक में रहा हुवा नारकी सहस्र वर्ष में, प्रत्येक सहस्र वर्ष में, या लक्ष वर्ष में खपावे ? अहो मौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है. अर्थात् नहीं खपावे ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! अठम भक्त [तेले ] की तपश्चर्या करता हुवा श्रमण निग्रंथ जितने कर्भ खपावे उतने कर्म नरक में नारकी लक्ष वर्ष में प्रत्येक लक्ष वर्ष में, या क्रोड वर्ष में क्या खपावे ? अहो गौतम ! यह अर्थ योग्य नहीं है ॥४॥ अहो भगवन् ! दश्चम भक्त (चोला) करता हुवा श्रमण निग्रंथ जितने कर्म निर्जरे उतने कर्म नरक में रहे हुवे नारकी क्या 1ोड वर्ष में, प्रत्येक क्रोड वर्ष में अथवा क्रोडाक्रोड वर्ष में क्या खपावे ? अहो गौतम । यह अर्थ योग्य पंचमांग विवाह पण्णति ( भगवती ) सूत्र int .सोलहवा शतक का चौथा उद्देशा 48
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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