SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1982
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९५२ * अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी * अत्थिणं भंते ! अणुत्तरोववाइया देवा ? हंता अस्थि ॥ से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ-अणुत्तरोववाइया देवा अणुत्तरोववाइया देवा ? गोयमा ! अणुत्तरोववाइयाणं अणुत्तरा सद्दाअणुत्तरा रूवाजाव अणुत्तरा फासा, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जाव अणुत्तरोववाइया देवा ॥ १२ ॥अणुत्तरोवबाइयाणं भंते ! देवा केवइएणं कम्मावसे. सेणं अणुत्तरोववाइय देवत्ताए उववण्णा ? गोयमा ! जावइयं छ?भत्तिए समणे णिग्गंथे कम्मं णिजरेइ एव इएणं कम्मावसेसेणं अणुत्तरोववाइय देवत्ताए उव वण्णा ॥ सेवं भंते ! भंतेत्ति । चउद्दसम सयस्सय सत्तमो उद्देसो सम्मत्तो ॥१४॥७॥ पपातिक देव क्या है ? हां गौतम ! अनुत्तरोपपानिक देव है. अहो भगवन् ! किस कारन से अनुत्तरोपपातिक कहाये गये हैं ? अहो गौतम ! अनुत्तरोपपातिक देव को अनुत्तर शब्द, रूप, गव यावत् अनुत्तर स्पर्श है. अहो गौतम ! इस कारन से अनुत्तरोपपातिक देव कहाये गये हैं ॥ १२ ॥ अहो भगवन् ! किस कर्म विशिष्ट से अनुत्तरोपपातिक देव देवतापने उत्पन्न हुए हैं ? अहो. गौतम ! छठ भक्त से जितने कर्म श्रमण निग्रंथ निर्जरते हैं. इतने ही कर्म विशिष्ट से अनुत्तरोपपातिक देव देवतापने उत्पन्न हुये हैं. अहो भगान् ! आप के वचन सत्य हैं. यह चउदहवा शतक का सातवा उद्देशा पूर्ण हुवा ॥१४॥३॥ *प्रकाशक-राजाबहादूर लाला मुखदेनसहायजी ज्वालाप्रसादजी* - - भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy