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________________ शब्दर्थ सूत्र भावार्थ 4388 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भवगती ) सूत्र - १३ सदा आश्रव स० शतच्छेद ओ० प्रवेशकरे गो० गौतम सा वह ना० वा० उछलता वो० वीकसता स०सम घ० घडापने चि० रहे ० हां चि० रहे से० वह ते० ऐसे गो० गौतम अ० है जी० जीव जा० यावत् चि० रहे ॥ १७ ॥ अ० है मं० भगवन् स० सदैव सु० सुक्ष्म सि० अप्काय प० गीरता है ० हां अ० ० से० वह मं० भगवन् किं० क्या उ० ऊर्ध्व प० गीरे अ० अधोप गीरे ति० तिर्यक् प ० गोरे गो० वो माणासभमर घडत्ताए चिट्ठइ? हंता चिटुइ । से तेणट्टेणं गोयमा ! अस्थिणं जीवाय जाव चिट्ठेति ॥ १७ ॥ अत्थिनं भंते सदासमियं सुहुम सिणेहकाये पवडइ ? हंता अत्थि । से भंते ! किंउड्डे पवडइ, अहेपवडइ, तिरिए पवडइ ? गोयमा उडेवि पवडई, अहेवि पडवइ, तिरिएवि पवडइ ॥ १८ ॥ जहा से बाद आउयाए अण्णमण्ण 1 ॥ भगवन् ! वह नावां पानी भराने से नीचे बैठे. (मीले हुवे, यात्रत् लोलीभूत बने हुवे हैं ।। १७ { सदैव सूक्ष्म अप्काय पडती है. अहो भगवन् {पडती है ! अहो गौतम ! ऊर्ध लोक में वाटलादि पर्वत पर विजय में पडती है और तिर्यक् लोक में भी पडती है ॥ १८ ॥ ! वर्षा होने से वह पानी तडागादि में एकत्रित होकर बहुत काल पर्यंत टिकता है वैसे ही क्या सूक्ष्म अप्काय ऐसे ही अहो गौतम ! जीव व पुद्गल परस्पर बंधे हुवे, अहो भगवन् ! सदैव सूक्ष्म पानी पडता है ? हां गौतम क्या वह उपर पड़ती है, नीचे पडती है, या तिर्यक पड़ती है, अधो लोक में अधोगामिनी अहो भगवन् ! जैसे बादर पानी की ६०१० पहिला शतक का छट्टा उद्देशा १६०
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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