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________________ शब्दार्थ यावत् णो० नहीं अ० अजीव ॥ १.१८॥क कितने प्रकार का भं० भगवन् म०मरण १० प्र० प्ररूपा गो. गौतम पं० पांच प्रकार का म. मरण प० प्ररूपा तं. वह ज. जैसे आ० आवीचिक मरण ओ० अवधि मरण आ. आत्यन्तिक मरण बा० बाल मरण पं० पंडित मरण ॥ ११ ॥ आ० आवीचिक तेनि काए भिजइ ॥ १७ ॥ कइ विहेणं भंते ! काए पण्णत्ते ? गोयमा ! सत्तविहे काए पण्णत्ते, तंजहा-ओरालिय ओरालिए मसिए, वेउबिए, वेउव्यिमीसए, आहारए. आहारयमीसए, कम्मए ॥ १८ ॥ कइविहेणं भंते ! मरणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचबिहे मरणे पण्णत्ते, तंजहा-आवीचियमरणे, ओहिमणे, आदितियमरणे, बालमरणे व्यतीत हुवे पीछे काया भेदातो है ॥ १७ ॥ अहो भगवन् ! काया के कितने भेद कह हैं ? अहो गौतम ! काया के सात भेद कहे हैं. उदारिक, उदारिक का मीश्र, वैकेय, वैक्रेय का मीश्र, आहारक, आहारक का मीश्र और कार्माण काया ॥ १८ ॥ काया को मृत्यु होती है इसलिये मृत्यु का प्रश्न करते हैं. अहो भगवन् ! मरण के कितने भेद कहे हैं ? अहो गौतम ! मरण के पांच भेद कहे हैं. १ आवीचिक मरण उत्पन्न हुवे बाद प्रतिसमय निरंतर आयुष्य की क्षीणता होवे सो २ अवधि मरण मर्यादा युक्त जो आयुर्दलि है उसे वर्तमान काल में भोगवकर मरता है. अथवा उसे आगामिक काल में भी भोगवकर मरेगा ३ आत्यंतिक मरण नारकी देवादिक की तरह आयुष्य भागवकर मरते हैं उसी आयुष्य को पुनः दूसरे भव में नहीं है । 48 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ). सूत्र 2400 तेरहवा शतकका सातवा उद्देशा 8 भावार्थ .
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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