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अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋपिजी -
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पोग्गला एगयओ दो तिपदेसिपाखंधा भवंति, अदवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो दुपदेसिया खंधा भवंति, एगया तिपदेसिए खंधे भवइ, अहवा-चत्तारि दुपदेसियाखंधा भवंति । पंचहा कजमाणे एगयओ चत्तारि परमाणु पोग्गला एगयओ चउप्पदेसिएखंधे भवइ, अहवा ऐगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ दुपदेसिएखंधे एगयओ तिपदेसिएखंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणु पोग्गला एगयओ तिण्णि दुपदेसियाखंधा भवंति छहा कजमाणे एगयओ पंचपरमाणु पोग्गला, एगयओ तिपदेसिएखंधे भवति अहवा एगयओ चत्तारि परमाणु पोग्गला
एगयओ दो दुपदेसिया खंधा भवति । सत्तहा कजमाणे एगयओ छपरमाणुपोग्गला चार प्रदेशात्मक स्कंध अथवा दो परमाणु पुद्गल दो तीन प्रदेशात्मक स्कंध अथवा एक परमाणु पुद्गल दो दो प्रदेशात्मक स्कंध एक तीन प्रदेशात्मक स्कंध अथवा चार द्विपदेशात्मक स्कंध होते हैं. पांच टुकडे करते चार परमाणु पुद्गल एक चार प्रदेशात्मक स्कंध अथवा तीन परमाणु पुद्गल एक द्विप्रदेशात्मक स्कंध एक तीन प्रदेशात्मक स्कंध अथवा दो परमाणु पुद्गल तीन द्विपदेशात्मक स्कंध होते. हैं. छ टुकडे करते. पांच परमाणु पुद्गल एक तीन प्रदेशात्मक स्कंध अथवा चार परमाणु पुद्गल दो द्विप्रदेशात्मक स्कंध होते हैं. सात
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ
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