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________________ 42 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मनि श्री अमोलक ऋषिजी भगति । पंचहा कजमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ तिपदेसिएखंधे भाद, अहवा एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ दो दुपदिसिया खंधा भवंति । छवि कजमाणे एगयओ पंचपरमाणुपोग्गला एगयओ दुपदेसिएखंधे भवइ । सत्तहा कमाणे सत्तपरमाणुपोग्गला भवंति ॥ ६ ॥ अट्ठ परमाणुपोग्गला पुच्छा ? गोयमा! आठ पदेसिएखंधे भवइ, जाव दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ सत्त पदे एवंधे भवइ, अहवा-एगयओ दुपदेसिएखंधे भवइ, एगयओ छप्पएसिएखंधे भव, अहवा-एगयओ तिपएसिएखंधे एगयओ पंचपदेसिएखंधे भवइ अहवा दो परमाणु उरेल और तीन द्विप्रदेशात्मक स्कंध. पांच टुकडे करते एक तरफ चार परमाणु पुद्गल और एक सरफ तो प्रदेशात्मक स्कंध एक, अथवा तीन परमाणु पुद्गल के तीन और दो द्विपदेशात्मक स्कंध छ करते पांच पर "गु पुद्गल के पांच और द्विप्रदेशात्मक स्कंध का एक, मात टुकडे करते सात परमाणु पुद्गल के सात ॥ ॥ अव आठ परमाणु पुद्गल की पृच्छा करते हैं. अहो गौतम ! आठ प्रदेशात्मक स्कंध होता है। और उसके दो यावत् आठ टुकडे होते हैं. दो टुकड़े करते एक परमाणु पुद्गल और सात प्रदेशात्मक स्कंध एवं' द्विपदेशात्मक स्कंध एक और छ प्रदेशात्मक स्कंध एक, तीन प्रदेशात्मक स्कंध एक और प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी, भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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