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________________ शब्दार्थ वर्तते त. उसयोग्य उ० उत्कृष्ट ओ• अवगाहना ३० वर्तते ने० नारकी दो० दोनों में स० सचावीस 4 भांगा॥८॥ इ० इस भ० भगवन् २० रत्नप्रभा जा. यावत् ए०एकेक नि. नरकावास में ने नारकी को क. |७ कितने स० शरीर प० प्ररूपे गो. गौतम ति० सीन स० शरीर १० प्ररूपे वे वैक्रेय ते. तेजस क० का र्माण इ. इस भं० भगान जा. यावत् वे वैक्रेय म. शरीर में वर्तते ने नगरकी किं. क्या को० क्रोध संयुक्त स० सत्तावीस भं० मांगा ए० इस ग० गमेसे ति० तीन स०शरीर भा०कहना ॥१॥ इ०इस भं०भगवन् र गुकोसियाए ओगाहणाए वहमाणाणं नेरइयाणं दोसुवि सत्तावीसं भंगा ॥ ८ ॥ इमीसेणं भंते ! रयणप्पभाए जाव एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं कइसरीरया प.? } गोयमा ! तिण्णिसरिया ५० तं. वेउविए तेयए कम्मए. इमीसेणं भंते ! जाव वेउब्वियसरीरे वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता सत्तावीसं भंगा. एएणंगमेणं भावार्थ असंख्यात प्रदेशाधिक जघन्य अवगाहनागले व उत्कृष्ट अवगाहनावाले नारकी को सत्ताइस मांगे जानना. ॥८॥ अहो भगवन् ! रत्नप्रभा नामक पृथ्वी के प्रत्येक नरकावास में नारकी को कितने शरीर कहे हैं ? अहो गौतम ! तीन शरीर कहे हैं. १ वैक्रेय २ तेजस ३ कार्माण. अहो भगवन् ! वै-3 % ॐ क्रेय शरीरवाले नारकी क्या क्रोधवाले विशेष हैं यावत् लोभवाले विशेष हैं ? अहो गौतम ! इन में 3 सत्तावीस भांगे जानना. जैसे वैक्रेय का कहा वैसे ही शेष दो शरीर का कहना ॥९॥ अब चौथा । tag पंचांग विवाह पण्णत्ति । भगवती ) सूत्र - 863 पहिला शतक का पांचवा उद्देशा 4-848
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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