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शब्दार्थ |
सूत्र
भावार्थ
4 पं मांग विवाह पण्णति ( भगवती ) सूत्र
( वा० छोटे शरीर वाली व वडवादेश की व०रदेश की च० चउसिक इ० ऋषिगणिक की खावखारुगणिका | की जो० योनिक देश की १० पल्हवित की ल्हा० ल्हासिक की ल० लकुसितदेश की आ० आरवदेश की (द० मिलशकी सिं०सिंहलदेश की पु० पुलिन्द्र देश की पु० पुकलंद देशकी व० बहल देश की मु० मुरंडदेश ( की स० शत्ररदेश की पा० पारसदेश की णा० विविध दे० देशकी वि०विदेशकी प० परिपिंडित स० स्वदेश ने० नेपथ्य ग० गृहीत वे० वेषसे ई० इंगित चिं० चिंतित प० प्रार्थित वि० विज्ञान कु० कुशल वि० वव्चरियाहिं चउसियाहिं, इसिगणियाहिं, खारुगणियाहिं, जोणियाहिं, पल्हवियाहिं, ल्हासियाहिं, लउसियाहिं, आरवीहिं, दमिलाहिं, सिंघलीहिं, पुलिंदीहिं, पुक्कलीहिं, वहिलीहिं, मुरंडीहिं, सवरीहिं पारसीहिं, णाणादेसीविदेसपरिपिंडिया हिं सदेसनेत्रत्थगहिय वेसाहिं, इंगिय चिंतिय पच्छिय वियाणियाहिं, कुसलाहिं, विणीयाहिं, योनिका देशकी, पल्हविवदेश की, ल्हातिका देशकी, लकुमित, देश की, आरवदेकी, द्रामिलदेशकी, सिंहलदेश की, पुलिन्द्र देश की, पुष्कळ देश की, बहल देश की, मुरण्डी देश की, शबरं देश की, पारस देश की {इत्यादि अनेक देश व देशान्तर में उत्पन्न हुई, व अपने २ देश के वर्ष में सज्ज बनी हुइ इंगित चिंतित नेत्रादि की चेष्टा से मनोगत भाव जानने वाली कार्य को शीघ्र दक्षता पूर्वक करने वाली विचक्षण, विनीत ॐॐॐ वनम्र स्वभाव वाली दासियों के परिवार से परवरी हुई व कृत्रिम नपुंसक व कचुकी के परिवार युक्त
8 नवत्रा शतक का तेत्तीमवा उद्देशा
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