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णेरइय पवेसणगस्स. कयरे कयेर जाव विसेसाहिएवा ? गंगेया ! सव्वत्थोवे अहे सत्तमा पुढवि णेरइय पवेसणए, तमा पुढवि णेरइय पवेसणए असंखेज्जगुणे । पडिलोमग जाव रयणप्पभा पुढवि णेरइय पवेसणए असंखज्जगुणे ॥ १७ ॥ तिरिक्ख जोणिय
पवेसणएण भंते ! कइविहे. पण्णत्ते ? गंगेया ! पंचविहे पण्णत्ते तंजहा--एगिदिय ___तिरिक्ख जोणिय पवेसणए जाव पचिंदिय तिरिक्ख जोणिय पर्वसणए । एगे भंते !
तिरिक्ख जोणिए तिरिक्ख जोणिय पवेसणएणं पवेसमाणे किं एगिदिएसु होजा
जाव पांचंदिएसु होजा ? गंगेया ! एगिदिएसुवा होजा जाव पंचिंदिएसु वा होज्जा ५॥ भावार्थ प्रवेशना अल्प बहुत्व यावत् विशेषाधिक है ? अहो गांगेय ! सर से थोडी सातवी नरक की प्रवेशना
E क्योंकि वहां थोडे जीव उत्पन्न होते हैं, इस से छठी नरक की प्रवेशना असंख्यात गुनी इस से पांचवी
नरक की प्रवेशना असंख्यात गती इस से चौथी नरक की प्रबंशना असंख्यात गुनी इम से तीसरी नरक
की प्रवेशना असंख्यात गुनी इस से दूसरी नरक की प्रवेशना असंख्यात गुनी इस से पहिली नरक की। ॐ प्रवेशना असंख्यात गुनी. यह नरक प्रवेशना का अधिकार संपूर्ण हुवा ॥ १७ ॥ अहो भगवन् ! तिर्यच 1 योनि के प्रवेशन कितने कहे हैं ? अहो गांगेय ! तियेच योनि के प्रवेशन पांच प्रकार के कहे हैं एकेंद्रिय ।
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भवगती ) स्व
नववा शतक का वत्तीमवा उद्दशा